मोहल में बनाएंगे भव्य चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क: डाॅ. ऋचा वर्मा, खेल-खेल में सीखेंगे बच्चे सड़क सुरक्षा नियम

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सुरभि न्यूज़  कुल्लू
कुल्लू के उपनगर मोहल में एक शानदार ‘चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क’ का निर्माण किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने कहा कि पार्क का निर्माण कार्य अगले एक माह में पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे। वह शुक्रवार को पार्क के निर्माण का जायजा लेने वन विभाग के अधिकारियों को साथ लेकर मोहल पहुंची। मोहल के मौजूदा नेचर पार्क परिसर में ही चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क के निर्माण की संभावना पर उपायुक्त ने अपनी संस्तुति प्रदान की है।

 

पार्क निर्माण को लेकर क्या है डीसी का मकसद
चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में बच्चों के मनोरंजन व उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए खेलने के लिए विभिन्न स्थलों को विकसित किया जाएगा और इनमें अच्छी क्वालिटि के उपकरण स्थापित किए जाएंगे। जैसा नाम से ही जाहिर है कि चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में बच्चे खेल-खेल में सड़क सुरक्षा एवं यातायात के नियमों को भी सीख पाएंगे। पार्क का निर्माण ऐसी विशेष तकनीक के साथ किया जाएगा जिसमें बच्चे खेल व मनोरंजन के साथ-साथ विशेषकर जेबरा क्राॅसिंग सीख सकें। उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान दौर में कहीं पर भी सड़कों में वाहनों की अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है और ऐसे में एक आम राहगीर को सड़क को पार करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा यदि बच्चे आरंभ से सड़क को सुरक्षित ढंग से पार करने की विधि को सीख लें तो भविष्य में उन्हें दिक्कत नहीं आएगी।
डाॅ. ऋचा वर्मा ने कहा कि बाल्यावस्था में मस्तिष्क तेजी के साथ विकसित होता है और इस दौरान हासिल किया गया कोई भी ज्ञान जीवन के लिए बड़ा उपयोगी होता है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होना नितांत आवश्यक है, लेकिन विडंबना है कि आज भी बहुत कम लोग यातायात के नियमों का पालन कर रहे हैं। जेबरा क्राॅसिंग की जानकारी तो अधिकांश युवाओं को नहीं है।
उपायुक्त ने वन विभाग के अधिकारियों को चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क का निर्माण जल्द से जल्द आरंभ करने को कहा। उन्होंने कहा कि मोहल के नेचर पार्क में बहुतायत में स्थानीय लोगों व सैलानियों का तांता सा लगा रहता है, लेकिन बच्चों के आकर्षण के लिए अलग से एक पार्क विकसित करने की जरूरत महसूस की गई है। उपायुक्त ने कहा कि यातायात के नियमों के बारे में यदि बाल्यकाल से ही शिक्षित किया जाए तो युवावस्था में वह कभी भी नियमों का उल्लंघन नहीं करेगा। इसके अलावा, बच्चे अपने परिजनों को भी शिक्षित करने में अह्म भूमिका निभा सकते हैं।