हिमालय नीति अभियान ने वन अधिकार समितियों द्वारा तैयार की दावा फाइलें उप मंडल स्तरीय समिति कुल्लू में जमा की

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सुरभि न्यूज़, कुल्लू।

हिमालय नीति अभियान ने मणिकर्ण क्षेत्र की 7 वन अधिकार समितियों के सामुदायिक व सांझे वन संसाधनों पर कानून के अनुरूप विभिन्न वन अधिकार समितियों द्वारा तैयार की दावा फाइलें उप मंडल स्तरीय समिति कुल्लू में जमा की जिन्हें क़ानून के अनुरूप वन अधिकार कानून के अंतर्गत विभिन्न संम्बंधित ग्राम सभाओं द्वारा प्रषित किया गया था .
हिमालय नीति अभियान के सदस्य पूरण पुजारी ने बताया कि कुछ समय पहले प्रशासन ने पंचायत सचिवों के माध्यम से आनन फानन में वन अधिकार समितियों के रजिस्टर में ‘निल क्लेम’ के प्रस्ताव लिखवाये थे जिसमे हिमालय नीति अभियान ने सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप करके इस प्रक्रिया को कानून की मूल भावना के विपरीत बताया था और वन अधिकार समितियां प्रशिक्षण की कमी की वजह सामुदायिक वन संसाधनों पर दावे प्रस्तुत नही कर पाई थी. फिर बादमें, हिमालय नीति अभियान ने प्रशासन के साथ मिलकर विकास खंड कुल्लू में वन अधिकार समितियों का प्रशिक्षण किया था. मगर प्रशिक्षण के बाद की प्रक्रिया मेंना तो विकास खंड प्रशासन कुल्लू ने तो कोई सहयोग किया बल्कि आधी अधूरी दावा फाइलें उप मंडल स्तर की समिति में जमा करवा दी. जिसका खामयाजा विकास खंड की समस्त जनता को भुगतना पड़ा और पूरी प्रक्रिया शून्य हो गई क्यूंकि उप मंडल स्तर की समिति ने सभी आधी-अधूरी फाइलें वन अधिकार समितियों को कानून अनुरूप बनाने के लिए वापिस कर दीं. विकास खंड प्रशासन की इस कारगुजारी के कारण कानून के अनुरूप ग्राम सभाओं द्वारा सामुदायिक वन संसाधनों पर दावा फ़ाइलें तैयार करने का जो काम विकास खंड की 70 पंचायतों की 300 से ज्यादा वन अधिकार समितोयो के साथ तीन-चार महीनों में पूरा होना था वो एक वर्ष बीत जाने के बाद शून्य स्तर पर पहुँच गया.
उन्होंने बताया कि हिमालय नीति अभियान की टीम लगातार व निरंतर वन अधिकार कानून को लेकर लोगों के बीच जाकर वन अधिकार समितियों का क्षमता वर्धन भी कर रही है और सामुदायिक दावों को भरने की प्रक्रिया में लोगों की मदद भी कर रही है. दावों को भरने में हो रही देरी का कारण प्रशासन को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कानून का अनुसार हर तरह के दस्तावेज ग्राम सभा को उपलब्ध करवाना उप मंडल स्तर की समिति का कार्य है . परन्तु कानून को लागू करने के नाम पर ना तो किसी तरह का दस्तावेज वन अधिकार समितियों को नि:शुल्क दिया जा रहा है और वन विभाग की शाखाओं जैसे ‘वाइल्ड लाइफ’ और ‘ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क’ को तो दस्तावेज देने के लिए अभी तक कोई आदेश तक नही दिया है और दस्तावेज नही होने के करण वन अधिकार समितियों से दावों की फाइलें तैयार नही हो रही है और ना ही कानून के अनुरूप फाइलें उप मंडल स्तर की समितियों में पहुँच पा रही हैं.
इस अवसर पर वन अधिकार समितियों हुरन,पुंथल,दुनखरा, बुहाड़, धुधेई, मतेड़ा,टटरडी के पदाधिकारी व सदस्य जिनमे पूर्णचंद पुजारी, होटमराम,दीनदयाल, जीवनादेवी,मोती लाल,राम देव,पूर्ण चंद,सूरत राम,नोमी राम ,मान चंद,नरेंद्र,शेर सिंह,यान चंद,नीरत राम, जय देय, निर्मला देवी,शांति देवी,चमन लाल, रूप चंद,जीत राम,जीवन लता,पार्वती,कोशाल्य, चैतन्य, रुप चंद पुजारी, संजय पुजारी,ब्रिज कुमार,उपस्थित रहे।