ग्रामीण विकास विभाग और स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा होने वाले निर्माण कार्य की तीसरी एजेंसी  करेगी जांच- उपायुक्त 

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सुरभि न्यूज़, चंबा।
जिला में स्कूल के कमरों के निर्माण में गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित बनाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग और स्कूल प्रबंधन समितियों द्वारा होने वाले निर्माण कार्यों की जांच अब  तीसरी एजेंसी भी करेगी। इसमें पॉलिटेक्निक संस्थान चंबा और बनीखेत के सिविल इंजीनियरिंग विंग की टीम शामिल रहेगी। टीम औचक आधार पर निरीक्षण करके सुरक्षा संबंधी मानकों को अपनाए जाने के अलावा निर्माण कार्य में प्रयुक्त की गई सामग्री की भी जांच करेगी। उपायुक्त डीसी राणा ने यह निर्देश आज जिला आपदा प्रबंधन ऑथोरिटी द्वारा चंडीगढ़ स्थित  तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं शोध के राष्ट्रीय संस्थान के डॉ हेमंत कुमार विनायक के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद जारी किए। उपायुक्त ने इस बात की जरूरत पर भी जोर दिया कि निर्माण एजेंसी के साथ होने वाले करार के समय निर्माण एजेंसी को डिजाइन भी सुपुर्द किया जाए ताकि निर्माण एजेंसी उसी के अनुरूप निर्माण कार्य को पूरा करे। उन्होंने यह निर्देश भी दिए कि निर्माण कार्य की शुरुआत से लेकर उसके पूरा होने तक के विभिन्न चरणों की फोटोग्राफी करके उसका बाकायदा रिकॉर्ड तैयार किया जाए ताकि यह पता चल सके कि निर्माण कार्य की जमीनी हकीकत क्या रही। उपायुक्त ने बताया कि चंबा जिला भूकंप के खतरे की दृष्टि से जोन- 5 में आता है। ऐसे में यदि निर्माण कार्य भूकंप रोधी और सुरक्षा मानकों पर आधारित नहीं पाया गया तो निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाएगी।
उपायुक्त ने जिले के दोनों पॉलीटेक्निक संस्थानों को कहा कि संस्थान समग्र शिक्षा अभियान और ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियरों और निजी भवन निर्माण से जुड़े मिस्त्री के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें ताकि उन्हें निर्माण कार्य से जुड़े आवश्यक टिप्स दिए जा सकें और वे नवीनतम तकनीक के पहलुओं से भी रूबरू  हो जाएं। उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षण संस्थानों के अलावा आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक भवन और महिला व युवक मंडल भवन के निर्माण में भी सुरक्षा मानकों के साथ कोई भी समझौता नहीं होना चाहिए।बच्चों की सुरक्षा को लेकर यदि कोई निर्माण एजेंसी कोताही बरतेगी तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उपायुक्त ने प्रारंभिक और उच्च शिक्षा उपनिदेशकों भी निर्देश दिए कि जब भी शिक्षा उपनिदेशक (निरीक्षण) स्कूलों के निरीक्षण पर जाएंगे तो वे अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में यह अवश्य दर्शाएं कि शौचालय व पेयजल टंकी की दशा क्या पाई गई और भवन में पानी की लीकेज की समस्या तो नहीं है। उपायुक्त ने कहा कि यदि ग्रामीण विकास विभाग और समग्र शिक्षा अभियान के तहत इंजीनियरों की उपलब्धता है तो निर्माण कार्यों में गुणवत्ता भी दिखनी चाहिए तभी इंजीनियरिंग विंग का औचित्य रहेगा। उपायुक्त ने शहरी निकायों के इंजीनियरों और अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि भवनों के निर्माण कार्य नियमों के अनुरूप ही हों और उनकी मंजूरी भी ऑनलाइन ही दी जानी सुनिश्चित करें। इससे पूर्व डॉ हेमंत कुमार विनायक ने भूकंप रोधी डिजाइन और निर्माण के तरीकों को लेकर विस्तृत पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत की। इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त मुकेश रेपसवाल के अलावा शिक्षा, ग्रामीण विकास, पुलिस, गृह रक्षा, अग्निशमन, शहरी निकाय और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।