जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 11 हजार फीट की ऊँचाई पर  कोकसर की ढलानों में जिलास्तरीय स्कीईंग प्रतियोगिता का आयोजन

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सुरभि न्यूज़, केलोंग।

जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 11 हजार फीट की ऊँचाई पर  कोकसर की ढलानों में जिलास्तरीय स्कीईंग प्रतियोगिता का आयोजन ‘स्नो- फेस्टिवल’ की कड़ी में कराया गया जिसका आयोजन नेहरू युवा केन्द्र व लायुल माउंटनेयरिंग ,व तिनन एडवेंचर स्पोर्ट्स क्लब, सिस्सु एडवेंचर स्पोर्ट्स, तथा यूथ सर्विसेस के संयुक्त तत्वावधान में कराया गया  । कार्यक्रम में हिमाचल सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त एवं कार्मिक) श्री प्रबोध सक्सेना जी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए ,उन्होंने रिब्बन काटकर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। उपायुक्त पंकज राय भी मुख्यतिथि के साथ रहे। प्रतियोगिता में जिले के विभिन्न हिस्सों व मनाली से 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।  प्रतियोगिता में सलालम व जेन्ट सलालम ,जूनियर व सीनियर वर्ग में आयोजित की गई । अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि सरकार की ओर से शीतकालीन खेलो को बढ़ावा देने के लिये ठोस प्रयास किया जा रहा है। इस बार के बजट में स्कीईंग खेल को सुदृढ करने के लिये प्रावधान किया गया है, और घाटी में साहसिक खेलो को बढ़ावा देने के लिये सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि लाहौल घाटी में स्कीईंग के अंतराष्ट्रीय स्तर के सलोप है और इस खेल को बढ़ावा देने के लिये धनी कमी आड़े नही आने दी जायेगी । जॉइंट सलालम के सीनियर वर्ग में रंगरिक के छेरिंग टशी ने और जूनियर वर्ग में लपचांग के सोनम दावा ने बाजी मारी और अपने नाम खिताब किया। छेरिंग टशी ने 41.46 सैकंड का समय लिया, जबकि दूसरे स्थान पर रोहित द्वितीय रहे, जिन्होने 42.22 सेकंड का समय लिया। तीसरे स्थान पर दुनीचंद शकोली के दुनीचंद रहे। उन्होंने 42.87 का समय लिया। वहीं जॉइंट सलालम के जूनियर वर्ग में लपचांग के सोनम दावा प्रथम रहे। उन्होंने 22.25 सेकंड का समय लिया। जबकि दूसरे स्थान पर टास्क के छेरिंग रहे। उन्होंने 32.54 का समय लिया। तीसरा स्थान शिवेन ने लिया। उन्होंने 38.04 सेकंड का समय लिया। जूनियर वर्ग में शिवेन, ऋषव, छेरिंग और सोनम दावा के साथ कुल चार ही प्रतिभागियों ने भाग लिए। राष्ट्रीय स्कीइंग और स्नो बोर्डिंग् के महासचिव रूपसिंह नेगी ने विजेताओं को पुरिस्कृत भी किया और सफल आयोजन के लिए सभी संस्थानो के सदस्यों और पंचायत प्रतिनिधियों तथा स्थानीय महिलामण्डल के सदस्यों और प्रधानों धन्यवाद भी किया। इस मौके पर युवा एवम खेल सेवा एवं एसडीएम केलांग राजेश भंडारी, पोआईडीडीपी रमन सिंह, एनवाईके को ऑर्डिनेटर रामसिंह,  आरएम मंगल मनेपा, राष्ट्रीय स्कीइंग एंड स्नो बोर्ड के महासचिव रूपचंद नेगी, हिमाचल विंटर गमेज़ के अध्यक्ष लुदर ठाकुर, पंचायत प्रधान अंजू और सुमन, सेक के अध्यक्ष सुनील किंगोपा, एलेमेस के अध्यक्ष नोरबू पांस, उपप्रधान सूरज ठाकुर, पीटी वांगदुई, गोकुल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

शहीद सिपाही तंज़िन छुल्टिम की स्मृति में  इस आयोजन शहीद तंज़िन छुल्टिम  क्रिकेट मेमोरियल प्रतियोगिता के फाइनल मैच का आयोजन

आज तकनीकी शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं जनजातीय बिकास मन्त्री डॉ0 रामलाल मार्कण्डेय ने शहीद तंज़िन छुल्टिम  क्रिकेट मेमोरियल प्रतियोगिता के फाइनल मैच में बतौर मुख्यातिथि के रुप में शिरकत की। इसमें शहीद तंज़िन जी के चाचा (राजू )  बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर शामिल हुए। डॉ0 रामलाल मार्कण्डेय राजू  को शॉल व टोपी पहनकर उनका स्वागत किया। डॉ रामलाल मारकंडा ने कहा कि जहां ज़िले में स्नो फ़ेस्टिवल का आयोजन चल रहा है, वहीं युवाओं को खेलकूद के माध्यम से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के उद्देश्य से लाहौल-स्पीति के वीर सपूत ‘शहीद सिपाही तंज़िन छुल्टिम ‘ की स्मृति में  इस आयोजन को किया जा रहा है। शहीद तंज़िन छुल्टिम  क्रिकेट मेमोरियल प्रतियोगिता के विजेता पुलिस ए-टीम व उपविजेता जहालामा- 12 टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। विजेता टीम को शहीद तंज़िन छुल्टिम जी के चाचा जी ने ट्रॉफी प्रदान की। विक्की भानू  फाइनल मैच में मेन ऑफ दा मैच रहे व तेंजिन  मैच ऑफ सीरीज रहे।

स्नो फ़ेस्टिवल के 74वें दिन खंगसर महल में गुंछोद का  आयोजन किया गया। जिसमें परम्परागत शरदकालीन मुखोटा नाट्य-नृत्य का किया प्रदर्शन  
पुराने समय में ठाकुरों द्वारा इसका आयोजन मुख्यतः मनोरंजन के उद्देश्य से किया जाता था, इसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा पारम्परिक तरीक़े के बनाये हुए मुखोटे पहनकर नृत्य -नाट्य  का प्रदर्शन किया जाता था। इससे पूर्व पारम्परिक पूजा अर्चना का कार्यक्रम सम्पन्न किया जाता है। खंगसर गाँव में ठाकुरों का 108 कमरों का पुरातन महल  मौजूद है, जिसमें यह पारम्परिक मुखोटे आज भी सहेज कर रखे गए हैं जो वर्ष में सिर्फ़ दो बार गुंछोद के अवसर पर ही नृत्य के लिए निकाले जाते हैं। यह उत्सव एक बार गर्मियों में तथा एक बार शरद ऋतु में मनाया जाता है। इससे जुड़ी कई जनश्रुतियां यहां प्रचलित हैं। पुराने समय में इस आयोजन को देखने लोग दूर-दूर से आया करते थे। उपायुक्त पंकज राय ने  कहा कि यहां की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध एवं अनूठी है। स्नो फ़ेस्टिवल मे लाहौल के फागली, हालडा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, योर, येति जैसे प्रमुख त्यौहार तथा स्पिति के बुछांग, डला व तेशु  उत्सव मनाए गए। उन्होंने बताया कि इस उत्सव के द्वारा पुरानी सांस्कृतिक विधाओं एवं के लुप्त परम्पराओं को व पुरातन पर्वों को पुनर्जीवन मिला है। शंगजतार लगभग 90 वर्ष के बाद, राइंक जातर लगभग 50 साल एवं दारचा क्षेत्र का सेलु नृत्य  40 वर्ष बाद पुनः जीवन्त हुआ है।गाहर घाटी का गमत्सा उत्सव 40 वर्ष बाद  ‘स्नो  फ़ेस्टिवल’ के मंच से पुनर्जीवित हुआ है।राय ने जानकारी दी कि 29 मार्च को स्नो फ़ेस्टिवल का समापन वर्चुअल माध्यम से  प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर करेंगे। इस अवसर पर 75 किलो का, घी से बना हुआ सत्तू का मर्पिणी (केक) काटा जाएगा। 75 दिनों तक चलने वाला यह अनूठा उत्सव कल लोगों के जनसहयोग से कल सम्पन्न होगा। इस अवसर पर सहायक उपायुक्त राजेश भण्डारी, पीओआईटीडीपी रमन शर्मा, अन्य अधिकारी व पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष रिगजिन हायरप्पा भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।