कुल्लू के कलाकार देस राज ने सहादत हसन मन्टो की प्रसिद्व कहानी ‘खोल दो’ का मार्मिक किया प्रस्तुतिकरण

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। एकल अभिनय की प्रस्तुतियों की रविवारीय श्रृंखला में ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू के कलाकार देस राज ने सहादत हसन मन्टो की प्रसिद्व कहानी ‘खोल दो’ का मार्मिक प्रस्तुतिकरण किया। केहर सिंह ठाकुर के निर्देशन में संस्था के फेसबुक पेज पर ऑनलाइन स्ट्रीमिंग में दर्शकों ने देखा और देस राज के अभिनय की प्रशंसा की। कहानी भारत पाक विभाजन के दर्द को ब्यां करती है, जब मार काट हुई थी दोनों तरफ लाशों का अम्बार लगा था और लाशों के ढेर ट्रेनों में इधर से उधर और उधर से इधर गई थीं। जिसमें सिराजुदीन नाम का आदमी अपनी बीबी तो गंवा देता है और शरणार्थी केम्प में अपनी बेटी सकीना को ढूंढ रहा है। उसे कुछ नौजवान ढूंढने का आश्वासन देते हैं, वे उस ढूंढ भी देते हैं लेकिन सिराजुदीन को नहीं सौंपते बल्कि उसके साथ दुर्व्यवहार करते रहते हैं। सिराजुदीन पूछता है तो बोलते हैं कि ढूंढ ही रहे हैं। एक शाम को सिराजदीन देखता है कि एक लड़की की लाश कुछ लोग लाते हैं और अस्पताल वालों को सोंपते हैं और बताते हैं कि रेलवे ट्रैक के पास पड़ी थी। सिराजुदीन चुपचाप अस्पताल के कमरे में घुस जाता है जहाँ कोई नहीं था सिर्फ स्ट्रेचर पर लाश पड़ी थी। डॉ कमरे में प्रवेश करते ही रोशनी करता है तो सिराजुदीन लड़की को पहचानता है और चिल्लाता है ‘सकीना’। डॉ पूछता है तो उसे रोते रोते बताता है कि यह मेरी बेटी सकीना है। डॉ उसकी नब्ज़ देखता है और कहता है ‘खिड़की खोल दो’। सकीना के मुर्दा जिस्म में हरकत होती है और वह अपने बेजान हाथों से अपना नाड़ा खोलती है और सलवार नीचे सरका देती है। इससे दिखता है कि उन्होंने किस कदर उससे दुष्कर्म किया था। पर सिराजुदीन खुशी चिल्लाता है ‘जिन्दा है! मेरी बेटी ज़िन्दा है’ डॉ जिसने उसकी नब्ज़ टटोली थी पसीने से गर्क था। प्रस्तुति की वस्त्र व आलोक परिकल्पना मीनाक्षी, प्रकाश संचालन सुमित ठाकुर, केमरा पर आरती ठाकुर व रेवत राम विक्की और ऑनलाईन स्ट्रीमिंग का कार्य भार वैभव ठाकुर ने बखूबी सम्भाला। अगले रविवार रेवत राम विक्की द्वारा जातक कथा ‘गीदड़ की बुद्धी, प्रस्तुत की जाएगी।

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