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बंजार की तीर्थन घाटी व जीभी में एंगलिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा सराहनीय प्रयास

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सुरभि न्यूज़ गुशैनी बंजार( परस राम भारती ) तीर्थन घाटी की जलवायु व नदी नाले ट्राउट मछली के उत्पादन के लिए बहुत ही अनुकूल है। ट्राउट मछली में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण देश-विदेश में इस मछली की भारी मांग रहती है। सन 1909 में कुल्लू में तैनात एक अंग्रेज अफसर ने अपने साथ ट्राउट मछली के अंडे भारत लाए थे और उन्होंने ने ही हिमांचल की ब्यास और इसकी सहायक नदी नालों में इसके बीज डाले थे। अद्वितीय जैव विविधता के लिए मशहूर विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में बर्फ से ढके तीर्थन के पहाड़ों में से निकली तीर्थन नदी में ट्राउट मछली का उत्पादन, संरक्षण एवं संवर्धन बखूबी किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि आज तीर्थन घाटी में ट्राउट मछली का उत्पादन और संरक्षण बड़े स्तर पर हो रहा है। इस समय तीर्थन घाटी के हामनी में मत्स्य पालन विभाग का एक बड़ा फिश फार्म बनकर तैयार हो चुका है जिसमें ट्राउट मछली का बीज तैयार किया जा रहा है और इसी बीज को तीर्थन नदी के सहायक नालों में डाला जा रहा है ताकि कुदरती तौर पर भी ट्राउट मछली की पैदावार बढ़ सके। ट्राउट मछली के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में विभाग द्वारा किया जा रहा यह प्रयास सराहनीय है। तीर्थन के बर्फीले पहाड़ों से बहने वाली तीर्थन नदी के ठंडे पानी में कुदरती तौर पर पलने वाली ट्राउट मछली का सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से काफी उपयोगी सिद्ध होता है। इस मछली में प्रोटीन अधिक और फैट कम होने के कारण र्ह्दयरोगियों के लिए तो यह वरदान साबित होती है। औषधीय गुणों से युक्त ट्राउट मछली को इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला भी माना जाता है। इसलिए इस मछली की बड़े शहरों में लगातार काफी मांग बढ़ रही है। मत्स्य पालन विभाग द्वारा यहां मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं यहां के स्थानीय लोगों को फिश फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। तीर्थन घाटी में मछली उत्पादन उद्योग की काफी संभावनाएं भरी पड़ी है जिससे स्थानीय लोगों को घर द्वार पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ट्राउट मछली बर्फीले पहाड़ी इलाकों की मछली मानी जाती है जो ठंडे पानी में रहना पसंद करती है। पौष्टिक होने की वजह से इसकी मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वाद और पोषण के लिए मशहूर यह मछली अब हिमाचल की अन्य नदियों में भी डाली जा रही है लेकिन तीर्थन नदी में पाई जाने वाली ट्राउट मछली अन्य जगहों की तुलना में अच्छी गुणवत्ता वाली मानी जाती है। इसलिए ही बंजार की तीर्थन और जीभी घाटी ट्राउट मछलियों के लिए काफी मशहूर हो रही है। जीभी घाटी पर्यटन विकास एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित कुमार का कहना है कि तीर्थन के नदी नालों में ट्राउट मछली की उपलब्धता के कारण ही यहां पर मत्सय आखेट के शौकीन पर्यटकों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। इन्होंने बताया कि हर साल ट्राउट मछली की आखेट का आनंद लेने के लिए देश-विदेश से काफी पर्यटक यहां आते हैं। इसलिए ट्राउट से घाटी के पर्यटन को काफी लाभ मिल रहा है और स्थानीय लोगों को घरद्वार पर ही रोजगार के अवसर मिल रहे है। तीर्थन घाटी हामंनी फिश फार्म के मत्स्य अधिकारी दुनी चंद आर्य ने बताया कि यह ब्राउन ट्राउट का बीज एक खास प्रणाली द्वारा विकसित किया जाता है जो कि डेनमार्क से लाया गया है। इन्होंने बताया कि हाल ही में हमने तीर्थन नदी व सहायक नालो में ब्राउन ट्राउट का बीज डाला गया है जिससे आने वाले कुछ ही सालों में तीर्थन क्षेत्र नदी नालों में ट्राउट मछली की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी जिससे पर्यटन को और ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की है की अब यह जिम्मेवारी स्थानीय लोगों व पंचायत के प्रतिनिधियों की भी होगी कि इन ट्राउट के बच्चों का संरक्षण सही तरीके से किया जाए तथा अवैध रूप से ट्राउट का शिकार करने वालों पर कड़ी नजर रखने के साथ अवैध रूप से ट्राउट का शिकार करने वालोे के उपर शख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। इस मौके पर ट्राउट कंजर्वेशन एवं एंगलिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष श्री संदीप कुमार, ईशान ठाकुर, मोंटू ठाकुर, बंटी ठाकुर, बंजार भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष भक्तराज एवं मत्स्य विभाग पतलीकुल फार्म के मत्स्य अधिकारी के अलावा स्थानीय ग्राम पंचायत सजवाड और ग्राम पंचायत खाड़ागाढ़ के पंचायत प्रतिनिधि भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। पंचायत प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिलाया कि वह पूरी तरह से ब्राउन ट्राउट के संरक्षण में विभाग का सहयोग करेंगे तथा समूचे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हमेशा जन सहयोग की कोशिश करेंग। इन्होंने ट्राउट मछली के संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयास पर मत्स्य विभाग के अधिकारियों एवं विधायक सुरेंद्र शौरी व ट्राउट एंगिं्लग एवं कंजर्वेशन एसोसिएशन कुल्लू का आभार जताया है।

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