“राष्ट्रीय सादगी दिवस” पर विशेष

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सुरभि न्यूज़ बिलासपुर(शीला सिंह) मानव जीवन में सादगी और संयम का विशेष महत्व है।सादगी मानव का अमोल आभूषण है, अमिट सौन्दर्य है। सादगी से हमारा चरित्र पुष्ट होता है, विचारों में शुद्धता आती है और हमारा मानसिक स्तर ऊँचा उठता है जो जीवन में आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होता है। इसके विपरीत बनावटी जीवन शैली में सही निर्णय लेने में अक्षमता देखी गई है। सादा जीवन उच्च विचार जब हम यह नीति वचन सुनते हैं तो निसंदेह हमारे मन में सकारात्मक भाव अवश्य पैदा होते हैं। जीवन के प्रति निष्काम निष्ठा की भावना परिलक्षित होकर हम भविष्य द्रष्टा की भूमिका का चयन करते हैं। केवल भौतिक सुख साधनों को ही सन्तुष्टि का आधार न मान कर कुछ जीवन आदर्शों को अपने में समाहित करके उच्चकोटि का जीवन जिया जा सकता है। ईमानदारी, सच्चाई, सरलता, सच्चरित्रता, परोपकार और सहानुभूति जैसे गुणों को जीवन का मूलमन्त्र मानना ही असीम सुखों की प्राप्ति है। सादगी का एक पक्ष अति महत्वपूर्ण माना गया है जिसका बहुत लाभ है क्योंकि इससे व्यक्ति के कार्यों में गुणवत्ता के दर्शन होते है। एक ऐसी चेतना का संचार होता है जो जीवन के हर पहलू का प्रबन्धन करने की कला में सक्षमता प्रदान करती है। दूसरे पक्ष में सादगी हमारी विवशता या कमजोरी नहीं होनी चाहिए। सादगी को किसी बलपूर्वक त्याग की तराजू में भी तोला नहीं जा सकता। सादगी तो हमारी जरूरतों और इच्छाओं के बीच का सही संतुलन है। सीमित सुख संसाधनों में खुश एवं स्वाभाविक रहना ही सादगी है। सादगी भारतीय संस्कृति की पहचान भी कराती है क्योंकि यह शान्ति की पक्षधर है। बड़े बुजुर्गों के अनुकूल जीवन में सरलता शान्ति को जन्म देती है लेकिन आधुनिक परिवेश के परिणाम स्वरूप हम स्वयं अपने जीवन को जटिल बनाने पर तत्पर रहते हैं। सादगी कोई गरीबी का प्रदर्शन करना भी नहीं है। यह सिर्फ मुश्किल और तनाव से बचने का सरल रास्ता है। अत्यधिक धन संचय से अमीर बनने से यदि खुशी मिलती तो दुनिया में अधिकतर अमीर लोग भयंकर तनाव की स्थिति का शिकार न होते। अतः सादगी हमें अत्याधिक संग्रह की प्रवृत्ति से भी बचाती है जिससे तनाव और दबाव से छुटकारा मिलता है। इच्छाओं की मृग मरीचिका में फंसने की अपेक्षा सोच में सुलभ बदलाव लाने का प्रयास जीवन को सुंदर, सुखमय और शोभायमान बनाता है। भारतीय इतिहास में ऐसी महान विभूतियों की कमी नहीं है जिन्होंने सादगी के महत्व को जाना और अपने जीवन में ढाला और उच्च विचारों से युक्त जीवन जिया। ऐसी महान विभूतियों को हम नमन करते हैं जो समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हैं। अमेरिका के मशहूर लेखक, कवि, पर्यावरणविद, इतिहासकार और दर्शनशास्त्री हेनरी डेविड थोरी 12जुलिई 1817 जिन्होंने दुनियां को सादा जीवन जीने का संदेश दिया और इसे सभी समस्याओं का हल बताया। राष्ट्रीय व अन्तरार्ष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला यह दिवस सभी में सादगी के गुणों का सोदेश्यपूरण विस्तार अवश्य करेगा।

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