आया सावन झूम के

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सुरभि न्यूज़ चंडीगढ़ (मदन गुप्ता सपाटू) इस साल सावन थोड़ा झूम कर आया और काफी तबाही भी अपने साथ लाया। 16 जुलाई, शुक्रवार को सोमवार के दिन श्रावण संक्रान्ति आरंभ हो गई है। 20 जुलाई को हरिशयनी एकादशी तथा चतुर्मास का आरंभ होगा। 24 तारीख को गुरु पूर्णिमा आषाढ़ी पूर्णिमा है। संपूर्ण वातावरण शिवमय हो जाता है। प्रकृति भी अपने पूर्ण जोश में होती है। 24 जुलाई को आषाढ़ मास के समाप्त होते ही 25 जुलाई से सावन मास का आरंभ हो जायेगा जो 22 अगस्त तक चलेगा इस दौरान कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। हिन्दू धर्म में सावन या श्रावण महीने का खास महत्व है। इस महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सोमवार को व्रत रखने और भगवान शंकर की पूजा करने वाले जातक को मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। विवाहित औरतें यदि श्रावन महीने का सोमवार व्रत रखती हैं तो उन्हें भगवान शंकर सौभाग्य का वरदान देते हैं। बहुत से लोग सावन या श्रावण के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआतकरते हैं। इस महीने में मंगलवार का व्रत देवी पार्वती के लिए किया जाता है। श्रावण के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस साल श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ेंगे। अगर आप सावन के महीने में सोमवार व्रत रखते हैं तो इससाल आपको सिर्फ चार ही व्रत रखने होंगे। पूरे सावन माह में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। खासकर कुंवारी कन्या योग्य वर की प्राप्ति हेतु भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक व्रत रखती हैं। आइये जानते हैं इस बार कब पड़ रही पहली और आखिरी सोमवारी क्या है इस पर्व का महत्व, इस बार की शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कब होगा आषाढ़ माह समाप्त, कब सावन मास का होगा आरंभ ?
आषाढ़ माह समाप्त: 24 जुलाई 2021, शनिवार को
सावन मास आरंभ: 25 जुलाई 2021, रविवार से
सावन मास की सोमवार की महत्वपूर्ण तिथियां:-
इस बार पहली सोमवारी 26 जुलाई को पड़ रही है जबकि चौथी सोमवारी 16 अगस्त को पड़ेगी.
सावन का पहला सोमवार: 26 जुलाई 2021
सावन का दूसरा सोमवार: 2 अगस्त 2021
सावन का तीसरा सोमवार: 9 अगस्त 2021
सावन का चौथा सोमवार: 16 अगस्त 2021
सावन शिवरात्रि पूजा हर साल की तरह सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन की शिवरात्रि व्रत पड़ रही है। ऐसे में साल 2021 में सावन शिवरात्रि पूजा 6 अगस्त को पड़ रहा है। जिसका पारण 7 अगस्त को किया जाएगा। सावन शिवरात्रि पूजा व्रत तिथि 6 अगस्त 2021, शुक्रवार तथा निशिता काल पूजा मुहूर्त 7 अगस्त 2021, शनिवार की सुबह 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक व पूजा अवधि मात्र 43 मिनट तक। शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मीनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक। सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है। जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस माह में शिव की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। सोमवार शाम पढ़ें शिव चालीसा भोलेनाथ प्रसन्न होकर देंगे यह वरदान। सावन के महीने में भक्त तीन प्रकार के व्रत रखते हैं। सावन सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत व प्रदोष व्रत। श्रावण महीने में सोमवार को जो व्रत रखा जाता है उसे सावन का सोमवार व्रत कहते हैं। वहीं सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार तक व्रत रखने को सोलह सोमवार व्रत कहते हैं और प्रदोष व्रत भगवान शिवऔर मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के प्रदोष के दिन किया जाता है। व्रत और पूजन विधि में सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान की सफाई करें। आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करेंआसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें। भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें। दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें। भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें। ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं। पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें। है। भोले नाथ अपने नाम के अनुरुप अत्यंत भोले हैं और सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिवोपासना से जीवन की अनेकानेक कठिनाइयां दूर होती हैं। इस मास में महामृत्युंज्य मंत्र, रुद्राभिषेक, शिव पंचाक्षर स्तोत्र आदि के पाठ से लाभ मिलता है। शिवलिंग पर मात्र बिल्व पत्र चढाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भांग, धतूरा, जल, कच्चा दूध, दही, बूरा, श्हद, दही, गंगा जल, सफेद वस्त्र, आक, कमल गट्टा, पान , सुपारी, पंचगव्य, पंचमेवा आदि भी चढ़ाए जा सकते हैं। ओम् नमः शिवाय का जाप या महामृत्यज्य का पाठ कर सकते हैं। शिवलिंग पर चंपा, केतकी, नागकेशर, केवड़ा या मालती के फूल न चढ़ाएं। अन्य कोई भी पुष्प जैसे हार सिंगार,सफेद आक आदि के अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि बेल पत्र खंडित न हों। इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगला गौरी का व्रत, विधिवत पूजन करने से शीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सौभाग्यादि में वृद्धि होती है।

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