ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएषन ने पंचतन्त्र की कथा विश्णु रूपी जुलाह का हास्य व्यंग्य से भरपूर किया प्रस्तुतिकरण

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। एकल अभिनय की प्रस्तुतियों की श्रृंखला में ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन की कलाकार आरती ठाकुर ने पंचतन्त्र की कथा विश्णु रूपी जुलाहा’का हास्य व्यंग्य से भरपूर प्रस्तुतिकरण किया।

केहर सिंह ठाकुर द्वारा निर्देषशत इस प्रस्तुति में आलोक प्रवन्धन रेवत राम विक्की ने, वस्त्र सज्जा मीनाक्षी ने, केमरा पर देस राज व सुमित रहे जबकि आनलाई स्ट्रीमिंग का कार्य वैभव ठाकुर ने सम्पन्न किया।

कहानी एक जुलाहे के लड़के की है जो एक राजकुमारी के प्रेम में पड़ जाता है और उसका दोस्त बढ़ई उसके लिए काठ का एक रिमोट कंट्रोल से चलने वाला गरूड़ रथ बनाता है। उस पर बैठ कर विश्णु सजकर वह राजकुमारी के कक्ष में प्रवेश करता है और राजकुमारी से कहता है कि तू तो षापग्रस्त लक्ष्मी है और इस तुच्छ राजा के घर पर जन्मी हो। इस प्रकार वह उसे बेवकूफ बना कर अपना उल्लू सीधा करता है। जब राजा रानी को पता चलता है तो राजकुमारी की बातों में आकर वे भी उसे सचमुच का भगवान विश्णु मान बैठते हैं। अब राजा आसपास के राजाओं से जंग छेड़ देता है यह सोच कर कि जिसका जमांई भगवान विश्णु हो तो उसे युद्व में कौन हरा सकता है।

पर आसपास के राजा उस पर उल्टे चढ़ाई कर देते हैं तो राजा अपनी पुत्री के माध्यम से अपने जमांई महाराज भगवान विश्णु को कहलवा भेजता है कि हमें युद्व में विजयी कराएं। अब जुलाहा फस जाता है कि क्या करे। लेकिन वह अब राजकुमारी के प्यार में अपने आप को कुर्बान करने युद्व क्षेत्र में पहुँच जाता है तो सचमुच के भगवान विश्णु को चिन्ता हो जाती है कि यह जुलाहा मर जाएगा तो लोग समझेंगे कि भगवान विश्णु मर गए। तो वे जुलाहे के षरीर में प्रवेष करके और गरूढ़ काठ के गरूढ़ में प्रवेश करके जुलाहे को युद्व में विजित कर देते हैं। अब जुलाहे की जय जयकार होती है। जब वह राजा को सच सच बता देता है तो भी राजा प्रसन्न होकर उसका विवाह अपनी पत्री से करवाकर उसे खूब धन आदि देता है जिससे उनका जीवन अच्छे से चल सके।

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