नाट्योत्सव कुल्लू रंग मेला का आग़ाज कलाकेन्द्र कुल्लू मे नाटक बूढ़ी काकी की प्रस्तुति से किया

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। कुल्लू स्थित रंगमंच संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन ने अपना वार्षिक नाट्योत्सव कुल्लू रंग मेला का आग़ाज कलाकेन्द्र कुल्लू मे मुंशी प्रेम चन्द की कहानी पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ‘बूढ़ी काकी’ की धमाकेदार प्रस्तुति से हुआ। संस्था द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से तथा भाशा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे इस नौ दिवसीय नाट्योत्सव की प्रथम संध्या केहर सिंह ठाकुर के निर्देषन में रंगकर्मी आरती ठाकुर ने एकल अभिनय के माध्यम से एक बुज़ुर्ग महिला के दर्द को सफलतापूर्व उकेरा। मुंशी प्रेम चन्द द्वारा लिखित कहानी बूढ़ी काकी एक ऐसी बुज़ुर्ग औरत की कहानी है जो इतनी उम्र दराज़ हो गई है कि उसके पति सहित उसके बच्चे भी तरूण हो होकर चल बसे। केवल बूढ़ी काकी ज़िन्दा है। उसने अपनी सारी सम्पति अपने भतीजे पंडित बुद्वि राम के नाम कर दी है और उसी के आश्रय पर जीवन की सांसें खींच रही है। बस अपनी कोठरी में बैठी खाने के लिए चिल्लाती रहती है। बुद्विराम और उसकी पत्नी रूपा उस पर खीजते हैं और उसकी बुढ़ापे की बचकानी हरकतों की वजह से कभी कभी उनके कोप का भी षिकार होना पड़ता है। यह एक बूढ़ी काकी की कहानी नहीं है, यह है कहानी उन सब गरीब और बेसहारा गरीब बूढ़ी काकीयों की जो हमारे आर्थिक रूप गरीब अंचलों के ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जीवन निर्वाह करती हैं। इस तरह की बूढ़ी काकीयां किसी न किसी गांव में मिल ही जाती हैं। यह मात्र एक कहानी नहीं है बल्कि एक आईना है हमारे विकृत समाज का जो आगे बढ़ने की होड़ में पीछे अपने बुज़ुर्गों की ओर मुड़ कर देखते ही नहीं और उनकी भावनाओं का कोई ख्याल नहीं रखते और साथ ही उन्हें अपना कहने में और उनके साथ खड़े होने में ग्लानी महसूस करते हैं। इस प्रस्तुति को गिने चुने दर्शकों ने कलाकेन्द्र में देखा और सेंकड़ों दर्शकों ने लाईव स्ट्रीमिंग के माध्यम से ऐक्टिव मोनाल के फेसबुक पेज पर देखा और पसन्द किया। नाटक में आलोक रेवत राम विक्की का रहा और केमरा पर सुमित ठाकुर और भरत सिंह रहे जबकि आनलाईन स्ट्रीमिंग का कार्य वैभव ठाकुर ने किया और साॅउंड पर जीवानन्द रहे।

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