ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन के कुल्लू रंग मेला की सातवीं संध्या में तीन कहानियों की दी प्रस्तुती  

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन के नौ दिवसीय नाट्योत्सव कुल्लू रंग मेला की सातवीं संध्या में संस्था के कलाकारों ने एकल अभिनय में माध्यम से हरिशंकर परसाई की तीन कहानियों क्रमश: पाठक जी का केस सुदामा के चावल और वैशणव की फिसलन प्रस्तुत कर तालियाँ बटोरी।

आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस नाट्योत्सव को दशर्कों कुल्लू के कलाकेन्द्र में आकर तथा अधिकतर दर्शकों ने ऐक्टिव मोनाल के फेसबुक पेज पर आनलाईन देखा। केहर सिंह ठाकुर द्वारा निर्देशित इन कहानियों की प्रस्तुतियों में पहली कहानी पाठक जी का केस रेवत राम विक्की ने दूसरी कहानी सुदामा के चावल ममता ने तथा तीसरी कहानी वैशणव की फिसलन सुमित ठाकुर ने प्रस्तुत की। वैशणव की फिसलन में एक वैशणव है जो कदम दर कदम अपने इमान से डिगता जाता है और हर कदम पर भगवान विश्णु की इच्छा कहकर उस काम को करता जाता है। उसके पास दो नम्बर को बहुत पैसा है तो यह कह कर होटल खोल देता है कि भगवान विश्णु का यही आदेश है। लेकिन वैशणव होटल होने के कारण शाकाहांरी भोजन परोसा जाता है। फिर होटल में ग्राहक नान वैज मांगते हैं तो कहता है कि भगवान विश्णु का कहना है कि तू औरों की पीड़ा समझता क्यों नहीं तो शाकाहारी को मांसाहारी में बदल देता है। तो ग्राहक शराब मांगते हैं तो होटल में बार खुलवा देता है फिर ग्राहकों की मांग पर कैबरे भी करवा देता है। उसके बाद ग्राहकों की मांग पर होटल में लड़कियों का इंतज़ाम भी करवा देता है क्योंकि ग्राहक कहते हैं कि ये सब तो हर होटल में चलता ही है।

अगर इंतज़ाम नहीं करोगे तो तुम्हारे होटल का भट्ठा बैठ जाएगा। तो वैश्णव इस तरह अपने इमान से फिसलता जाता है और ये सब करता है ये कहकर कि मैं तो सिर्फ भगवान विश्णु के आदेश का पालन कर रहा हूं। अंत में नाटक में कहता है कि जब से धन्धे को धर्म से जोड़ा है तो कारोबार बहुत चमक गया है। कहानी पाठक जी का केस एक ऐसे आदमी की कहानी है जो अपनी नौकरी में तरक्की के लिए धार्मिक बनता है और पूजा पाठ में मन लग जाने का ढोंग करता है। जबकि सुदामा के चावल व्यंग्य जब सुदामा अपने मित्र कृश्ण के पास मिलने जाता है, उस पर आधारित है।

इसमें उस कहानी को आधार बनाकर असल में वर्तमान व्यवस्था में शासन तन्त्र में फैले भ्रश्टाचार को प्रतिबिम्बित करता है। सुदामा जब पोटली लेकर चावल लेकर जाता है तो कृश्ण के कर्मचारी उससे चावल तक छीन कर खा लेते हैं। जब कृश्ण को सुदामा बताता है तो कृश्ण सुदामा से इस बात को किसी को न बताने पर समझौता करता है और बदले में उसे सम्पदा देता है। ताकि कृश्ण के स्वच्छ शासन तन्त्र की पोल न खुल जाए। इन प्रस्तुतियों में वस्त्र एवं आलोक परिकल्पना मीनाक्षी की, केमरा पर देस राज व भरत सिंह और आनलाईन स्ट्रीमिंग वैभव ठाकुर ने की।

 

 

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