आनी में किसान संगठनों और सीपीआईएम ने  सयुंक्त प्रदर्शन कर किया चक्का जाम

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सुरभि न्यूज़ (सी आर शर्मा) आनी। आनी उपमंडल के तहत किसान, सीपीआईएम तथा छात्र संगठनों ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने सहित विभिन्न मांगों को लेकर  संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश व्यापी आंदोलन के आह्वान पर आनी में भी धरना प्रदर्शन व चक्का जाम किया। बता फेन कि मांगों पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई संज्ञान न लेने से आहत किसानों ने सोमवार को  भारत बंद का एलान किया है।

इसके तहत हिमाचल में भी जगह जगह किसान गठन धरना प्रदर्शन कर रहे है। वहीं आनी में भी किसान मोर्चा, सीपीआईएम और एसएफआई के छात्र संगठनों ने आनी में एनएच 305  पर चक्का जाम कर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान वाहनों की आवाजाही कुछ समय के लिए पूरी तरह से ठप रही। किसान नेता ख्याले राम ठाकुर ने कहा कि तीन कृषि काले कानूनों को  राष्ट्रपति के हस्ताक्षर द्वारा कानून का रूप देने के बाद आज एक साल हो गया है और इन तीनों काले खिलाफ देश का किसान दस महीने से धरने पर बैठा है जिसके समर्थन में आज भारत बन्द का एलान किया गया है। हिमाचल में भी 37 जगहों पर प्रदर्शन किए गए और इन काले कानूनों को वापिस लेने की मांग की गई। वहीं सीपीआईएम के नेता पदम प्रभाकर, प्रताप ठाकुर तथा मिलाप ठाकुर आदि ने कहा कि हिमाचल में जो फल अनाज का उत्पादन होता है उस पर न्यूनतम मूल्य नही मिल रहा है और जैसे केरल में 16 फल और अनाज पर न्यूनतम मूल्य दिया जा रहा वैसे ही हिमाचल सरकार भी यहां सेब सहित अन्य फलों और अनाज पर भी न्यूनतम मूल्य तह करने के लिए कानून लाए।

आनी  में किसान नेताओं ने धरने के बाद एसडीएम के माध्यम से सरकार को एक ज्ञापन भी भेजा गया जिसमें बताया गया कि अगर सरकार ने किसान बिल को वापिस नहीं लिया  तो आनी में और प्रदर्शन किया जाऐगा और आने वाले दिनों में आनी में चक्काजाम किया जाऐगा। इस प्रदर्शन में संयुक्त किसान मंच के संयोजक प्रताप ठाकुर, सह संयोजक ख्यालेराम, सीटू संयोजक आनी पदम प्रभाकर, मिलाप, मुकेश उपप्रधान, पूर्व उप प्रधान दलीप,    हरविंद्र, भवानी सिंह, रमेश, एस एफ आई प्रभारी आनी  योगेंद्र, एस एफ आई जिला कमेटी योगेश  प्रियंका, पवन, प्रधान किसान सभा कराणा शेर सिंह, तारा चंद, किसान प्रधान खनाग ओमीचंद, रेहड़ी फड़ी युनियन से खोदी राम, मोती राम, ताराचंद, संत प्रकाश, ज्ञान, सुजल तथा  हिरा लाल सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे।

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