देवकन्या ठाकुर
शिमला
सुरभि न्यूज़ कुल्लु
कवियत्री स्नेह नेगी जी को हिमाचल की प्रथम ट्रायबल महिला कवियत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ जिनका पहला कविता संग्रह सतर वर्ष की उम्र में प्रकाशित हुआ जिसका विमोचन शिमला में शरब नेगी (पूर्व आईएएस) ने हिमालय साहित्य मंच कार्यक्रम में किया। इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी होने का गौरव मुझे भी मिला। स्नेह नेगी जी अपने नाम की ही तरह स्नेहिल और ममतामई महिला हैं। इनका काव्य संग्रह उनके इसी व्यक्तित्व को विस्तार देता है। कविता धैर्य और ठहराव मांगती है। वह हृदय के झंकृत तारों से सृजित होती है। स्नेह लता नेगी जी का पहला कविता संग्रह ‘सुन ऐ जिंदगी’ साहित्य भूमि नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह में कुल 100 कविताएं हैं जिनमें से पहले 11 कविताएं जिंदगी से सवाल जवाब करती हैं। यह कविताएं जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव की परिणति को दर्शाते हुए इसकी सुखद अनुभूति उसे भी अवगत कराती हैं। अपनी जिंदगी के ताने-बाने में उलझी गांठों को जहां कवियत्री खोलती हुई दिखती हैं वहीं खुद की तलाश में अपने होठों की मुस्कुराहट और आंसुओं का हिसाब भी जिंदगी से मांगती हैं। एक मासूम सी चाहत में कवियत्री कहती हैं
जिंदगी भर आपाधापी में
ऐसे उलझ गए कि
उजाले की चाहत तो थी पर
अंधेरों में भटक गए।
जीवन में इंसान बहुत कुछ चाहता है लेकिन उलझने जीवन में इतनी हैं कि वह खुद उन चाहतों की आपाधापी में खो जाता है जिसमें वह अपने दिल का सुकून और मन की शांति भी खो देता है।
बात कुछ और होती’ कविता में कवियत्री को अपना ही घर बेगाना लगता है।
‘वह मेरा घर गर मेरा होता
तो बात ही कुछ और होती।
इस घर की नायिका प्रकृति प्रेमी है। जो जीवन को हरियाली फूलों और तितलियों के रंगों में देखती है लेकिन वह इस सबकी केवल केवल चाहत ही कर सकती है ना कि उसे जी सकती है। कवियत्री मस्त मौला इंसान है जो अपने में ही जीती है खुश रहती है लेकिन वह आसपास के लोगों के व्यवहार से भी चिंतित है कविता हैरान हूं मैं वह कहती है
न जाने क्यों लोग जलते हैं मेरी खुशी से
जबकि मैंने नुमाइश ए दर्द की ही नहीं।
कवियत्री आज के दौर में कुंठायों और शिकवों से भरे जीवन से त्रस्त लोगों के लिए परेशान है। वहीं जीवन में मुस्कुराने के मकसद को भी खंगालने की कोशिश करती हैं।
बेकरार दिल’ में कवियत्री दुनिया भर के तामझाम को एक और फेंककर जमाने की परवाह करना छोड़ देती है। जीने की तमन्ना हर व्यक्ति के मन में अपने हिसाब से है लेकिन कोई- कोई ही है जो अपनी आकांक्षा को पूरी कर पाता है। कवियत्री समाज में, परिवार में, दोस्तों में व्याप्त नफरत से दुखी है। वह ‘नफरत’ कविता में अपने पाठकों को नसीहत देती हुई कहती है
यही एकमात्र सच्चाई है दूर रहो नफरतों से
यही एक बात समझ में आई है।
मुश्किल वक्त इंसान को तरशता है और पत्थर सा कठोर भी बना देता है वक्त कविता में कवियत्री अपने जीवन अनुभवों को पन्नों में समेटती है। कवियत्री एक अच्छे दोस्त की अहमियत बताते हुए कहती है कि जिंदगी में कई लोग मिलते हैं जो बेशक हमेशा हमारे साथ ना रह पाए लेकिन उनके साथ बिताया समय और उनकी यादें हमेशा दिल में रहती हैं। जो दोस्ती के जज्बातों और अहमियत को जेहन में संजोए रखती हैं। कवि की कविताओं में प्रेम जिंदगी और उसकी कशमकश है तो इनकी कविताओं में पर्यावरण प्रेम भी है जो इन्हें कलम उठाकर कविता लिखने के लिए प्रेरित करता है। बारिश के मौसम की खूबसूरती को इन्होंनेअपने शब्द चित्र में बखूबी सजाया है। वर्तमान में कंक्रीट के बढ़ते हुए जंगल से भी कवियत्री परेशान है। कवियत्री पहाड़ों और जंगलों को बचाना चाहती है लेकिन किसी और को इसकी परवाह कहां है जबकि दौर यह नया है। कवियत्री जहां खोई हुई मंजिल की तलाश में भटकती हुई अनजानी राहों पर चलती जा रही है वहीं वह वक्त के इशारे न समझ पाने पर जमाने की ठोकरें मिलने से निशब्द है। स्नेह लता जी को ‘सुन ए जिंदगी’ जिंदगी के लिए शुभकामनाएं और भविष्य में वह अपने लेखन को और विस्तार देंगी, यह हमें उम्मीद है।