कन्दरौर में गूंजी हिम कल्याण लोक कला मंच बिलासपुर के कवियों की स्वरलहरियां 

इस खबर को सुनें

सुरभि न्यूज़ (रविन्द्र चन्देल कमल) बिलासपुर। हिम कल्याण लोक कला मंच की मासिक संगोष्ठी का आयोजन ग्राम पंचायत कन्दरौर के सभागार में किया गया सर्वप्रथम सभी साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती की वंदना की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के प्रधान सुरेन्द्र सिंह मिन्हास ने की जबकि कार्यक्रम के अतिथियों में सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक भाग सिंह ठाकुर व प्रधान ग्राम पंचायत बेनला कमला देवी विशेष रूप से उपस्थित रहे।कला मंच के प्रधान ने सभी साहित्यकारों व अतिथियों  का स्वागत किया गया अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि कवि समाज का वह दर्पण है जो कि अपनी लेखनी से समाज को आईना दिखाता है और स्वस्थ समाज का निर्माण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।  कार्यक्रम के अतिथि भाग सिंह ठाकुर ने मंच के प्रधान को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से हम अपनी भावी पीढ़ी को एक अच्छा साहित्य संजो कर रख सकते हैं  जिसे पढ़ कर भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकती है। प्रधान ग्राम पंचायत बेनला कमला देवी ने भी मंच के प्रधान व सभी सदस्यों को इस आयोजन के लिए बधाई दी ।  मंच संचालक ठाकुर देवेन्द्र राजपूत ने सर्वप्रथम कविता पाठ के लिए पूनम शर्मा को आमंत्रित किया। पूनम शर्मा ने नेता खा गए देश को कुछ नशा खा गया ज़वानी को कविता सुना कर भ्रष्ट राजनीती पर तंज कसे जबकि वीना वर्धन ने  गैस सिलेंडर हुई गेया मेहंगा चलो बोबो गांवां चलिए बढती मह्घाई पर रोष प्रकट किया । वीना देवी ने आज की बेटियां, विजय कुमारी सहगल ने है यह रिश्तों का संसार, रविन्द्र ने किन्तु परन्तु बेवजह सफर है अब अन्तिम, विपिन कुमार चंदेल ने सारे जहां की धड़कन बसी है जिस देश में, सरस्वती ने छोटी न होती तो यहां न होती, हेमराज शर्मा ने लाखों करोड़ों की भीड़ में न जाने कितने लोग बदनाम हो गए, विपाशा ठाकुर ने मां अब मुझे तुम याद आते हो, रविन्द्र कुमार शर्मा ने तुम भी मुझे पुकारते रहो ऐ भाई, कर्ण चन्देल ने यादों के उजाले आज कुछ बस्ते घर नहीं जाएंगे, अमरनाथ धीमान ने पहाड़ी रचना में गंगीया रे बोल सुणाई देया इक बार, बी. डी. लखनपाल ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की जबकि चन्द्रशेखर पंत ने बीते जाते यूं ही जीवन के क्षण , रविन्द्र चन्देल कमल ने बोलो राम राम श्रीराम के प्यारो बोलो राम राम, ठाकुर देवेन्द्र राजपूत ने कैसा यह ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌अन्तर्धन्ध है तथा सुरेन्द्र सिंह मिन्हास ने पहाडी रचना में कई साला ते सुणदे‌ आए थे ऐ कहाणी पाई बध्याता रेल आणी सुनाकर सभी कबियों ने अपनी-अपनी कविता के माध्यम से समाज सन्देश दिया।  अंत में मंच के संयोजक अमरनाथ धीमान द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी साहित्यकारों व अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *