1970 के दशक में हुई थी मनाली में विंटर कार्निवाल महोत्सव कि शुरुआत

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प्रताप अरनोट

सुरभि न्यूज़

विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली का राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवाल पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है। मनाली में इस महोत्सव कि शुरुआत 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोट्र्स प्रेमियों ने विंटर कार्निवल की परिकल्पना करके इसके आयोजन की शुरुआत की थी। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबंधित खेल संस्थान मनाली के तत्कालीन निदेशक हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोट्र्स को बढ़ावा देना था। कालांतर में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद किसी न किसी रूप में इसके आयोजन की परंपरा बनी रही। इसमें मनालीवासी और इसके आयोजन से जुड़ी संस्थाएं तथा इनके पदाधिकारीयों का प्रयाश जारी रहा जिस कारण विंटर कार्निवल का आयोजन निरंतर होता रहा और सीमित साधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने विंटर कार्निवल को जिंदा रखा। वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने विंटर कार्निवाल का सरकारीकरण किया और इसे राज्य स्तर का दर्जा दिया। इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्रदान किया गया। पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के अदभुत  विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार किया गया। अब इसमें पर्यटन की अपार संभावना को देखते हुए तथा लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बहुत से आयोजन और भी जुड़ चुके हैं। अब विंटर कार्निवाल को एक बहुत बड़े सांस्कृतिक आयोजन के साथ-साथ रोमांच से परिपूर्ण साहसिक खेलों के रूप में भी जाना जाता है। विंटर कार्निवल का आगाज मनाली क्षेत्र की मुख्य अधिष्ठात्री देवी मां हिडिंबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड एवं सांस्कृतिक झांकियों के साथ होता है। ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियां मनाली के माल रोड तक आती है। इन झांकियों का अति सुंदर नजारा दिखने को मिलता है। कुल्लू जिला की बहुत ही समृद्ध लोक संस्कृति से संबंधित गतिविधियों को शामिल करके आयोजन समिति ने विंटर कार्निवल को व्यापक सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान किया है। विंटर कार्निवल के इस उत्सव में विंटर क्वीन और वायस आफ कार्निवल स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढ़ने  का बहुत ही अच्छा अवसर मिलता है। कुल्लू-मनाली को कुदरत ने जितनी खूबसूरती बख्शी है उतनी ही समृद्ध और अदभुत लोक संस्कृति से भी नवाजा है। अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है। कुल्लू घाटी की लोक संस्कृति और परंपराएं सचमुच पर्यटकों में कौतुहल पैदा करती हैं। विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है। दो जनवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विंटर कार्निवल के शुभारंभ किया। उन्होंने हिडिंबा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल सांस्कृतिक झांकियों को माल रोड की ओर रवाना किया। रंग-बिरंगी परिधानों में सजी स्थानीय महिलाएं और अन्य राज्यों के सांस्कृतिक दलों ने माल रोड पर  मिनी भारत का नजर देखने को मिला। स्थानीय परिधानों में महिलाएं मैगा नाटी का प्रदर्शन करके समारोह को और भी खास बनाया। स्थानीय महिलाओं और देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी। इसके अलावा, रस्साकशी, बास्केटबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों को भी इस बार विंटर कार्निवल में शामिल किया गया है। कार्निवाल की कड़ी में ही राष्ट्रीय स्तर की स्कीईग प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जायेगा। इस बार विंटर कार्निवल में विंटर स्पोट्र्स और अन्य गतिविधियों का समावेश करके शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर द्वारा इस उत्सव को नए मुकाम तक ले जाने का सराहनीय प्रयास किया है। उन्होंने विंटर स्पोट्र्स प्रतियोगिता का आयोजन करवाने की  सराहनीय पहल की है। दो से छः जनवरी तक मनाया जाने वाला मनाली का राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव नए स्वरूप में नजर आएगा। इसमें सांस्कृतिक, पर्यटन और विंटर स्पोट्र्स से संबंधित गतिविधियों के अलावा आम लोगों व पर्यटकों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण तथा मोटर वाहन अधिनियम के प्रति जागरुक करने पर भी विशेष बल दिया जाएगा। प्रत्येक दिन को एक थीम दिया जाएगा जो लोगों को नशे से दूर रहने, स्वच्छता बनाए रखने, बेटी बचाने तथा पर्यावरण सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा। इस बार कार्निवाल के दौरान वन विभाग द्वारा पांच हजार पौधे लगाए जायेंगे। विंटर कार्निवल में अटल टनल रोहतांग सेलानियों के लिए मुख्य आकर्षण रहेगी। हर रोज हजारों सेलानी टनल के दीदार के लिये पहुंच रहे हैं। टनल के दोनो छोर पर बर्फ का मनोहारी दृष्य सैलानियों के लिये किसी जन्नत से कम नहीं है।

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