विश्व विख्यात कहानी ठाकुर का कुआं’का मार्मिक प्रस्तुतिकरण

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। भरत मुनि जयंती के उपलक्ष्य पर ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू और संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश के तत्वावधान में 14 फरवरी से 19 फरवरी तक आयोजित किए जा रहे नाट्योत्सव के चैथे दिन एकाग्र कला मंच बालीचैकी मण्डी एवं कुल्लू की ओर से ममता ने मुंषी प्रेम चन्द की विश्व विख्यात कहानी ‘ठाकुर का कुआं’ का मार्मिक प्रस्तुतिकरण किया। कहानी गांव के अनुसूचित जाति के जोखू की है जो बीमार है और जिस कुएं से वे पानी भरते हैं तो उस कुएं में कोई जानवर मर कर गिर गया है। उसकी बीबी गंगी रात के अंधेरे में पानी चोरने के लिए ठाकुर के कुएं पर जाती है। यह जानते हुए भी कि अगर पकड़ी गई तो उसकी सज़ा गांव के ठाकुर बहुत ही अकल्पनीय खतरनाक देंगे। वह मन ही मन बोलती है कि यह इन्सान इन्सान में इतना अन्तर क्यों है।

यह तक कहती है कि गांव के ठाकुर उसे ऐसे वासना की नज़र से देखते हैं तो उस समय उन्हें नीचपना क्यों नहीं नज़र आती। क्यों नहीं लगता इन सवर्णों को कि मैं तो नीच जात की हूं। इन्ही बातों को अपने ही मन में करती हुई वह छुप छुप कर ठाकुर के कुएं पर पहुंचती है और पानी का घड़ा भरती है और उसे कुएं से ऊपर तक लाती है तो उसी वक्त ठाकुर का दरवाज़ा खुलता है। उसे ऐसा लगता कि जैसे किसी षेर का मुहूं खुल गया हो। घड़ा उससे छूट जाता है और वह वहां से दौड़ती हुइ भाग जाती है। ठाकुर कौन है कौन है बोलता हुआ बाहर आता है। गंगी दौडती जाती है दौड़ती जाती है। जब घर पहुंचती है तो क्या देखती है कि जोखु लोटे में पड़ा हुआ वहीं गंदा पानी पी रहा है। ममता ने अपने अभिनय से सभी पात्रों को सजीव कर दिया। आलोक व्यवस्था रेवत राम विक्की की, केमरा पर मीनाक्षी और देस राजा और आनलाईन स्ट्रीमिंग का कार्य वैभव ठाकुर ने सम्पन्न किया। वस्त्र परिकल्पना मीनाक्षी की और कार्यक्रम संयोजन का कार्य केहर सिंह ठाकुर ने किया।

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