वन अधिकार कानून- 2006 के बार में फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी गुजरात, हिमालय नीति अभियान और सहारा संस्था कर रहे लोगों को जागरूक

इस खबर को सुनें

सुरभि न्यूज़ तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार

परस राम भारती

वन अधिकार कानून-2006 को देश के अनेकों राज्यों द्वारा प्रभावी तरीके से लागू करवाने के पश्चात अब हिमाचल प्रदेश में भी इसे लागू करने की प्रकिया शुरू हो गई है। इस कानून के लागू होने से अब सरकारी वन भूमि पर कई जनहित के कार्य हो सकेंगे। जिला कुल्लू की उपमंडल स्तरीय समिति बंजार द्वारा भेजी गई सामुदायक दावों की करीब 33 फाईलों को जिला स्तरीय समिति की ओर से स्वीकृति मिल चुकी है। ग्राम पंचायतों में गठित वन अधिकार समितियों द्वारा अब इस कानून को धरातल स्तर पर लागू करवाने की प्रकिया शुरू कर दी गई है। विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाओं के पदाधिकरी गांव गांव में जाकर लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे है। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत पेखड़ी और कंडीधार में बैठकों का आयोजन हुआ। इन बैठकों में गुजरात राज्य के आनंदपुर से फाऊंडेशन फॉर इकोलॉजी सिक्योरिटी के सदस्य सुशील और शुभम, हिमालय नीति अभियान की सदस्य कर्नाटक राज्य बंगलौर से आई अदिति, हिमालय नीति अभियान के राज्य सचिव संदीप मिन्हास, हिमालया नीति अभियान की सदस्य रमा देवी, सहारा संस्था के निदेशक राजेन्द्र ठाकुर, सहारा के सदस्य एवं पूर्व प्रधान स्वर्ण सिंह ठाकुर, ईको टूरिज्म सोसाइटी के अध्यक्ष केशव ठाकुर और वन अधिकार समितियों के पदाधिकारी एवं सदस्य विषेष रूप से उपस्थित रहे। गौरतलब है कि वन अधिकार अधिनियम-2006 के अन्तर्गत 13 प्रकार के समुदायक कार्यों को अंजाम देने के लिए वन अधिकार समिति की ग्राम सभा में 50% वयस्कों और 33% महिलाओ की उपस्थिति होना अनिवार्य है। इस अधिनियम में यह साफ तौर पर लिखा है कि जनहित के 13 प्रकार के कार्यों को करने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा सरकारी वन भूमि का प्रयोग किया जा सकता है। अभी भी सरकार द्वारा लोकहित के कार्य को करने के लिए लोगो की निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है जबकि जनसंख्या बृद्धि के कारण लोगों के पास अपनी निजी भूमि बहुत ही कम रह गई है। इस कानून को धरातल स्तर पर लागू करने में हिमालय नीति अभियान, सहारा और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजी सिक्योरिटी गुजरात से आए सुशील और शुभम ने ग्राम पंचायत पेखड़ी, नोहंडा, कंडीधार, कलवारी, शर्ची के अंतर्गत पड़ने वाली 26 वन अधिकार समितियों से वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत मिलने वाले सामुदायिक वन संसाधन के दावे भरने की प्रक्रिया को समझा और जाना। हाल ही में जिला स्तरीय समिति कुल्लू द्वारा इन 26 वन अधिकार समितियों के सामुदायिक दावों को अनुमोदित कर दिया है। पिछ्ले कल ग्राम पंचायत पेखड़ी और आज इस टीम ने ग्राम पंचायत कंडीधार में वन अधिकार समितियों के द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया। इन बैठकों में चर्चा हुई कि जिला स्तरीय समिति से पास हुई 33 फाईलों पर अधिकार मिलने के बाद वन अधिकार समितियों द्वारा सरंक्षण एवं प्रबन्धन के संदर्भ में कौन कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह तय हुआ कि भविष्य में संरक्षण और प्रबंधन की प्रक्रिया के तीन चरण अपनाए जाएंगे जिसमें में अंशकालिक अवधि, मध्यकालिक और लम्बे समय तक की योजनाओं पर कार्य किया जाएगा। जिसमें वनों में आगजनी की घटनाओं को कैसे रोका जाए, वनों के सरक्षंण ओर प्रबन्धन के लिए सीमाओं का निर्धारण करना, ईको पर्यटन को बढ़ावा देना इन सभी विषयों पर वन अधिकार समिति की ग्राम सभा में विचार विमर्श करने के बाद निर्णय लिए जाएंगे। बैठक में अन्य विकासात्मक कार्यों के अलावा बंजार क्षेत्र से निजी दावों पर भी चर्चा हुई। सहारा संस्था के निदेशक राजेन्द्र चौहान ने बाहरी राज्यों से आए सभी सदस्यों का आभार प्रकट किया है और भविष्य में भी इनके सहयोग की कामना की है। इन्होंने बताया कि सहारा संस्था और हिमालय नीति अभियान के सदस्यों ने लोगों के साथ मिलकर वर्ष 2014 से लगातार इस कानून को धरातल पर उतारने का प्रयास किया है। इन्होंने कहा कि लोगो को कानून की जानकारी न होने के कारण वर्ष 2006 में बने इस लोकहित कानून को लागू करने में वर्षों लगे है। बिडम्बना यह है कि अभी तक विभाग द्वारा आई कानून से संबंधित जानकारी लोगो को नही दी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *