सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू
देवसदन में भारतीय ज्योतिष अनुसंधान एवं सामर्थ्य फॉउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय ज्योतिष के विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए ज्योतिष शास्त्रियों व शोधकर्ताओं को ने भाग लिया।
भाषा कला, संस्कृति व शिक्षा मन्त्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने संबोधित करते हुए कहा कि ज्योतिष शास्त्र, सम्पूर्ण विश्व को भारत की अनुपम देन है, इसके लिए संस्कृत भाषा को समृद्ध करना आवश्यक है।
ज्योतिष शास्त्र भारत के मनीषियों एवं ज्योतिर्विद बुद्धिजीवियों द्वारा प्रतिपादित एक ऐसा शास्त्र है जिसे पूरे विश्व में भारत की एक अनुपम देन के रुप में देखा जाता है।
पुरातन काल में ही भारत के मनीषियों के बहुत बिकास कर लिया था।
उन्होंने कहा कि अब इस कार्य में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ रही है। संस्कृत का ज्ञान होना सभी को अति आवश्यक है क्योंकि संस्कृत देवी देवताओं एवं वेदों की भाषा है।
सरकारी स्कूलों में तीसरी कक्षा से संस्कृत की पढ़ाई आरंभ की जाएगी तथा इसके साथ ही नवम कक्षा से भगवतगीता के एक अध्याय के रूप में पढ़ाना आरंभ किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने शास्त्री अध्यापकों के पदनाम को टीजीटी संस्कृत किया है जिसके लिए समस्त संस्कृत के अध्यापकों ने सुंदरनगर में मुख्यमंत्री महोदय के लिए अभिनंदन का कार्यक्रम रखा है।
सरकार द्वारा नए संस्कृत महाविद्यालय खोले जा रहे हैं कुल्लू में जगतसुख नामक स्थान पर 3 हेक्टेयर जमीन पर संस्कृत महाविद्यालय खोला जाएगा जहां पर नई शिक्षा नीति के अनुसार विविध्विष्यों की समावेशी पढ़ाई शुरू की जाएगी।
नई शिक्षा नीति मातृभाषा में सीखने पर अधिक बल देती है उन्होंने सामर्थ्य फाउंडेशन को कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 25000 की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की। इस अवसर पर प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्री पंडित लेखराज शर्मा, डॉ पूनम शर्मा तथा जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर भी उपस्थित रहे।