सुरभि न्यूज़ डेस्क
खुशी राम ठाकुर, बरोट
जिला कांगड़ा के बैजनाथ विधान सभा क्षेत्र के दुर्गम बड़ा भंगाल तथा छोटाभंगाल को आज़ादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र का दर्जा कोई भी सरकार नहीं दे पायी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जब से बैजनाथ विधान सभा क्षेत्र अस्तित्व में आया है तब से लेकर आजतक 12 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और उनमें से आठ बार काँग्रेस समर्थित विधायक ने बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किया है और मात्र चार बार भाजपा समर्थित विधायक ने इस क्षेत्र की बागडोर संभाली है जिसमें कई विधायक अपनी सराकार रहते मंत्री पदों में रहे।
मगर आज दिन तक किसी भी पार्टी के विधायकों ने दुर्गम बड़ा भंगाल तथा छोटाभंगाल में विकट परिस्थिति में जीवन यापन कर रहे लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्ज़ा दिलवाने में कोई भी ज़हमत नहीं की।
उल्लेखनीय है कि बड़ा भंगाल पंचायत के दो गाँवों में लगभग 650 लोग रहते हैं और छोटाभंगाल में सात पंचायतें पड़ती है जिसमें 33 गाँवों में 8500 लोग रहते हैं।
बड़ा भंगाल में पहुँचने के लिए आज भी 18000 फुट की ऊंचाई पर थमसर जोत मीलों पैदल चल कर पार करना पड़ता है तथा कई सुविधायों के आभाव से आजादी के 75 साल बाद भी जूझ रहा है।
दोनों घाटियाँ साल में चार से छः माह तक भारी बर्फवारी से ढकी ही रहती है। इन दोनों घाटियों के अधिकतर लोग मात्र खेतीबाड़ी पर ही निर्भर है।
रोज़गार के कोई भी साधन नहीं होने के कारण व भारी बर्फवारी के चलते घाटियों के अधिकाँश लोग अपने परिवार सहित नवम्बर से मार्च अप्रेल माह तक चार से छह माह के लिए अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए निचले क्षेत्रों की तरफ पलायन कर लेते हैं।
इसके साथ सर्दी के मौसम में भारी बर्फवारी के चलते कई -कई दिनों तक सड़क, बीजली, पानी तथा दूरसंचार व्यवस्था बाधित रहती है।
ऐसी कठिन परिस्थितियों में यहाँ पर जीवन यापन करना यहां के लोगों के सिवाय बेहतर और कोई नहीं जान सकता है।
इसी तरह की विभिन्न समस्याओं को देखते हुए बड़ा भंगाल तथा छोटा भंगाल घाटी के सभी पंचायत प्रतिनीधियों ने कई बार विधायक से लेकर मंत्री तथा मुख्यमंत्री के समक्ष अनुसूचित जनजातिय क्षेत्र घोषित करने की मांग उठाई मगर आजतक किसी भी सरकार ने उनकी सुनाई नहीं की।