बिलासपुर में भाषा-संस्कृति विभाग एवं कल्याण कला मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मासिक कला-कलम मिलन

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सुरभि न्यूज़ डेस्क 
बिलासपुर, 10 जनवरी
ज़िला भाषा-संस्कृति अधिकारी बिलासपुर और कल्याण कला मंच बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल कंदरौर के प्रांगण में एक बहुभाषी संगोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। जिसका मुख्य उदेश्य स्थानीय भाषा और संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन रहा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय समाज सेविका कला देवी व कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्माननीय मंच के संरक्षक चंद्रशेखर पंत और बुद्धि सिंह चंदेल ने संयुक्त रूप से की जबकि मंच संचालन राकेश मिन्हास और हेमराज शर्मा ने कुशल अंदाज में किया।
नव वर्ष के अवसर पर हुई मंच की पहली संगोष्ठी का आगाज़ बिलासपुर शहर से पधारे रामपाल डोगरा ने आंखें आंख ही दिशाहीन है आंखों का दोष है आंखें ही कहती है जबकि रौड़ा सेक्टर से पधारे विख्यात कहलूरी कवि जीतराम सुमन ने मैं पर्यावरण हूं जैव मंडल का आवरण हूं रचना के माध्यम पर्यावरण का संदेस दिया।
घुमारवीं की वीना वर्धन ने अपने अंदाज में ठंडी ने दंदली छुट्टी जांदी आजकला बड़ी पारी ठंड लगदी आजकला ने रचना सुनाई जबकि  नन्हे गायक शिवांश ने नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं देश भक्ति ग्गेत सुनाया।
झंडूता की रचना चंदेल ने जन जन के नायक जन गण गान करो वहीँ कहलूरी के हस्ताक्षर लश्करी राम ने भला बाबा जी कालेया मंदर तेरा जी बाबा हनुमान टील्ले भजन सुनकर माहौल को भक्तिमय बना दिया।
बीमा क्षेत्र के अधिकारी जोगिंद्र महाजन ने फाईनल पेपर में मुन्ने के कम नंबर आए मुन्ने के पिता अपनी पत्नी पर चिल्लाए व्यंग  सुनाकर लोटपोट किया जबकि कार्यक्रम के आयोजक व मुख्याध्यापक रविंद्र ठाकुर ने अच्छा मज़ाक करते हैं लोग खुद तय कर मुकर जाते हैं लोग सुनकर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया।
मंच की महासचिव तृप्ता कौर मुसाफिर ने म्हारा  म्हांचल ओ बड़ा बांका तू गल्ल सुण ओ माणुवा तथा गणित के सह आचार्य डॉ. जय महल वाल ने पया बरफ उचियां उचियां धारां ते बरखा रा नी रया नसाण पहाड़ी कविता सुनाई।
बल्ह के कथा वाचक आचार्य जगदीश सहोता ने विशिष्ट शैली में भजन तू मुं कन्ने बोल्या मीट्टठी बिंदिए सुनाया जबकि हिमाचल प्रदेश के लोक कलाकार रविंद्र चंदेल कमल ने सूरज को आकर चमकना ही होगा नित चलना ही होगा तरन्नुम में गीत सुनाकर दर्शकों से वाहवाही लुटी।
सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल कंदरौर के छात्र-छात्राओं ने भी सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की जबकि बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक सेवानिवृत्त मनसा राम ने कार्यक्रम और मंच के ध्येय की प्रशंसा की।
स्थानीय शिक्षक देशराज ठाकुर ने संस्कृति के संवर्धन में मंच के प्रयासों को सराहा। प्रधान सुरेंद्र सिंह मिन्हास कहलूरी की रचना खिल्ले खेत बीऊ बाहणे जो होई गयी पछेत सुणो पाईयो , बरखे रैहणे खिल्ले खेत समयानुसार समसामयिक रही।
मंच संचालक राकेश मिन्हास ने अपनी बुलंद आवाज़ में गीत गाया ज्यों निकल कर बादलों की ओर से थी इक बूंद आगे बढ़ी तथा मंच संचालक हेमराज शर्मा ने अज्ज राम अयोध्या बिच आए जग रही दीपमाला गाकर समां बांधा।
अध्यक्ष मंडल सदस्य बुद्धि सिंह चंदेल ने भारत की बेटी हूं पढ़ लिखकर प्रगति पथ पे बढ़ती जाऊंगी बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का सन्देश दिया जबकि मंच के संरक्षक व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चंद्रशेखर पंत ने जो मिल गया बढ़िया मिला है कहीं और इससे बढ़िया नहीं है तरन्नुम में सुनाया कर मंत्रमुग्ध किया।
मुख्य अतिथि समाज सेविका कला देवी ने कार्यक्रम की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की तथा मंच के आयोजकों और पदाधिकारियों को अपना आशीर्वाद दिया।

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