सुरभि न्यूज़
केलंग 17 फरवरी
जिला लाहौल घाटी में विभिन्न प्रकार के पारम्परिक खेले समय-समय पर आयोजित की जाती है। अधिकतर त्यौहार व खेलों का आयोजन सर्दियों आरम्भ होने से लेकर सर्दियो खत्म होते तक किया जाता है। खेलों में आमतौर पर पुरूष ही भाग लेते है।
गाहर घाटी के शाकण्डस गांव में इन दिनों पारम्परिक तीन दिवसीय तीर अंदाजी खेल प्रतियोगिता जिसे स्थानीय बोली में (नमरंगस ) कहते है, का आयोजन किया जा रहा है।
तीन दिवसीय तीर अंदाजी विशेषकर शिवरात्री के दिनों में खेला जाता है। इस खेल में धनुरधारी बर्फ की लिंगनुमा लक्ष्य पर निशाना साधते है। यह लक्ष्य एक पूर्व दिशा की ओर स्थापित की जाती है जिसे दैव्य स्वरूप माना जाता है।
दूसरा लक्ष्य पश्चिम दिशा की ओर स्थापित की जाती है, जिसे आसुरी रूप माना जाता है। धनुरधारी पश्चिम दिशा की और बाण चलाते है और भूत-प्रेतों को पश्चिम दिशा की और भगाते है।
इस प्रतियोगिता में स्थानीय लोग विशेषकर युवा वर्ग इस खेल में बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं। इस खेल को मनाने का मुख्य उददेश्य घाटी में सुख समृद्धि व खुशहाली बनी रहे।