राज्य स्तरीय नाट्योत्सव के चैथे दिन हास्य नाटक भगवान का पूत का किया सफल मंचन

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

कुल्लू

अटल सदन कुल्लू में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित किए जा रहे राज्य स्तरीय नाट्योत्सव के चैथे दिन स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन राजा चटर्जी द्वारा लिखित नूर ज़हीर द्वारा हिन्दी में रूपान्तरित रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर के निर्देशन में अपना हास्य नाटक ‘भगवान का पूत’ प्रस्तुत कर सभागार में उपस्थित दर्शकों को लोट पोट कर दिया।

अटल सदन में नाटक शुरु होने से लेकर अन्त तालियों की गड़गड़ाहट और हंसी के ठहाके गूंजे। लोक नाट्यों में स्वर संगम कला मंच शिमला से आए कलाकारों ने प्रसिद्व लोकनाट्य ‘करियाला’ प्रस्तुत कर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

समकालीन नाटक भगवान का पूत में एक जुलाहे का लड़का होता है जो एक राजकुमारी के प्रेम में मतवाला होकर अपने दोस्त की मदद से नकली भगवान विश्णु बन कर राजकन्या का कक्ष में घुस जाता है और उससे कहता है कि तुम तो शापग्रस्त लक्ष्मी हो और इस तुच्छ राजा के घर में जन्मी हो और मैं भगवान विश्णु हूँ और तुम्हारे लिए स्वर्ग छोड़ कर आया हूँ। राजकन्या को विश्वास हो जाता है और इसी तरह राजा और रानी भी इसे सच सम-हजय बैठते हैं।

अब राजा आसपास के राजाओं के साथ युद्व छेड़ता है। उसे विश्वास होता है कि जिसका जमांई स्वयं भगवान विश्णु हो तो उसे युद्व में भला कौन
पराजित कर सकता है और अपनी पुत्री से कहता है कि भगवान से हमारी सहायता करने को कहें।

 

अब जुलाहे का लड़का फस जाता है और अन्ततः युद्व में जाने को तैयार होता है प्रेम की खातिर मर जाने को तैयार होता है। अब उधर स्वर्ग में स्वयं भगवान विश्णु का सिंहासन डोल उठता है और अपने वाहन गरूड़ से कहता है कि इस जुलाहे के लड़के के युद्व में मर जाने से मेरी भी
मृत्यु हो जाएगी।

लोग समझेंगे कि भगवान विश्णु तुच्छ सेनपतियों के हाथों मारे गए और पृथ्वी पर उनकी पूजा करने वाला कोई नहीं बचेगा। और अन्ततः भगवान विश्णु ब्लैकमेल हो जाते हैं और अपना अस्तित्व बचाने के लिए जुलाहे के लड़के में प्रवेश होकर युद्व जिताते हैं।

जुलाहे का लड़का सब सच बताता है परन्तु राजा और उसके लोग उसकी बातों पर ध्यान न देकर उसे जुलाहा अवतार भगवान विश्णु की जय कहकर पुकारते हैं और उसकी जय जय कार करते हैं।

नाटक की प्रस्तुति को आधुनिक नाटकों की ब्रेख्तियन शैली में तैयार किया गया था और हिमाचली संस्कृति के तत्वों का भरपूर समावेष किया हुआ था। इस नाटक में स्वयं केहर सिंह ठाकुर सहित आरती ठाकुर, रेवत रात विक्की, भूषण देव, जीवानन्द, सूरज, ममता, कल्पना, पूजा, श्याम लाल व वेद प्रकाश आदि कलाकारों ने अभिनय किया जबकि पाष्र्व संगीत सचालन वैभव ठाकुर का तथा प्रकाश परिकल्पना और वस्त्र परिकल्पना मीनाक्षी की रही।

लोकनाट्य में शिमला के कलाकारों द्वारा  बूढ़े सेठ के विवाह का स्वांग’ प्रस्तुत करद दर्शकों को खूब हंसाया। इसमें गोपाल चन्देल, रोशन लाल, मनोज कुमार, लेख रात, चेतन गर्ग आदि कलाकारों ने कपनी कला का प्रदर्शन किया।

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