सुरभि न्यूज (जितेंद्र गुप्ता ‘सोनू’, आनी )
हाल ही में बनाई गई आनी नगर पंचायत का रोस्टर जारी हो गया है।
नगर पंचायत आनी के सात वार्डों में
1.खोबडा – तेशन वार्ड अनुसूचित जाति,
2.बराड़-किरण बाजार सामान्य महिला
3. दोगरी वार्ड सामान्य महिला,
4.रानी बेहड़ा अनारक्षित
5. नालदेरा वार्ड अनारक्षित,
6क्यार कलोनी ( अनुसूचित जाति की महिला के लिये आरक्षित )
7.) रोपड़ी वार्ड ( अनुसूचित जाति की महिला के लिये आरक्षित ) किये गए हैं।
अब तक पांच पंचायतों में बंटकर आनी कस्बा अव्यवस्थित बनकर रह गया था।
ना तो कस्बे की गलियों, रास्तों में सुधार हुआ, कचरा प्रबंधन को लेकर कोई जागरूक नहीं हुआ, न ही प्रयास हुए, स्ट्रीट लाइट हो या पार्किंग या पार्क या कस्बे के सौंदर्यीकरण।
ऐसा कभी लगा ही नहीं कि पांच पंचायतों से बना आनी कस्बा जो उपमण्डल मुख्यालय भी है, कभी विकास के पथ ओर अग्रसर हुआ हो।
लेकिन अब नगर पंचायत का छोटा सा दायरा जो रोपड़ी से बराड और नालादेरा से खोबड़ा-तेशन तक सिमट जाने से आनी कस्बे के विकास का जिम्मा अब 7 ऐसे सदस्यों पर आ गया है जिनमे सच मे ही कस्बे के विकास का जुनून हो।
क्योंकि आनी कस्बे में इतना ज्यादा काम करने की जरूरत है कि 5 साल भी कम पड़ेंगे, और अगर इस नई जंजीर की एक भी कड़ी कमजोर साबित हुई तो कम से कम 5 सालों के नुकसान सभी को होगा।
ऐसे में अब हर वार्ड के नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ऐसे प्रतिनिधि को चुनकर सामने लाना होगा जो सच मे ही कस्बे को , अपने वार्ड को लेकर चिंतित रहे, पढालिखा हो, जुझारू हो, दूरगामी सोच रखता हो।
न केवल ऐसा व्यक्ति जो सिर्फ पैसों के दम पर या उसके परिवार में अधिक वोट हैं इस लिए या फिर सिर्फ नेतागिरी चमकाने के चक्कर मे नगर पँचायत में पैठ बनाने का इच्छुक हो।
क्योंकि जिन लोगों ने कई तर्क देकर इस निर्णय का विरोध किया था और जनता के मन मे यह भावना भरी है कि अब तो इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहें, ऐसे लोगों के समक्ष खुद को साबित करना भी एक चुनौती होगा, और नगर पंचायत बनने का निर्णय कितना सही है, यह भी अपनी कार्यशैली से साबित करना होगा।
इस लिए 7 वार्डों के सातों सदस्यों को जांच परखकर ही आगे लाएं, केवल उनके चुनावी वादों को ध्यान में रखते हुए नहीं, बल्कि उनकी क्षमता , योग्यता को ध्यान में रखकर ही अपना सदस्य चुनें। और आनी कस्बे के हर एक नागरिक में यह क्षमता है की वह सही गलत का समय रहते चुनाव कर सके।
तभी हम सभी अपने मकसद में कामयाब हो सकेंगे।
वरना 5 साल कैसे गुजर जाएंगे यह हमें पता भी न चलेगा।
इस लिए जांचें,परखें और तभी चुनें, लकीर के फकीर बनकर नहीं।।