सुरभि न्यूज़,केलांग।
स्नो फ़ेस्टिवल से कई लुप्त होती सांस्कृतिक परम्पराएं पुनः जीवंत हो रही हैं। आज स्नो फ़ेस्टिवल कोर कमेटी की बैठक पंकज राय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें ‘स्नो- फ़ेस्टिवल’ की समीक्षा सहित इसके समापन समारोह के लिए तैयारियों पर चर्चा की गई। बैठक से पहले सांसद रामस्वरूप के असामयिक निधन पर, दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु मौन रखा गया। पंकज राय ने बताया कि हमारा प्रयास इस फेस्टिवल के माध्यम से लुप्त हो रही परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है, जिसमें हमें सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शंगजतार लगभग 90 वर्ष के बाद, राइंक जातर लगभग 50 साल एवं दारचा क्षेत्र का सेलु नृत्य का पुनः जीवन्त होना इस प्रयास का परिणाम है। उन्होंने बताया कि ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ लाहौल के पर्यटन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। शरदकालीन खेलों व सांस्कृतिक पर्यटन की अपार संभावनाओं का उचित दोहन करने के लिए लोगों होम-स्टे योजना पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पर्यटन का संतुलित एवं सतत विकास निश्चित हो सके।
इसके लिए होम सटे प्रबन्धन पर 23, 24 मार्च को कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभांरभ तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास व सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्री डॉ रामलाल मार्कण्डेय करेंगे। 21 एवं 22 मार्च को हस्तशिप उत्पादों में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। 26 मार्च को राज्यस्तरीय पारम्परिक तीरंदाज़ी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। 29 मार्च को स्नो-प्रिंस व प्रिंसेस चुने जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज स्नो फ़ेस्टिवल का 64 वाँ दिन है जिसमें कोकसर में आयोजित कार्यक्रम में एसपी मानव वर्मा ने मुख्यतिथि के रूप में भाग लिया। कोकसर में बर्फ़ पर रस्साकस्सी, स्नो क्राफ़्ट, निटिंग आदि सहित कई खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसमें कई पर्यटकों ने भी पूरा लुत्फ़ उठाया। स्नो फ़ेस्टिवल से यहां की संस्कृति, नृत्य -गीत, वेशभूषा, सहित यहां के व्यंजनों को भी देश-विदेश तक पहचान मिल रही है। 19 मार्च से सिस्सु में फ़ूड फ़ेस्टिवल का आयोजन भी किया जा रहा है।
इससे छरमा एवं नमकीन चाय, चिलड़ा, टीमो, मर्चु आदि व्यंजनों को इसके माध्यम से अधिक लोकप्रियता मिलेगी। इस अवसर पर सहायक आयुक्त राजेश भण्डारी, पीओआईटीडी पी रमन शर्मा सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।