सुरभि न्यूज़, कुल्लू।
दिनेश गुप्ता और ममता ठाकुर ने कथक नृत्य शैली में प्रदेश सहित विदेश में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। चंद्र आभा मेमोरियल ब्लाइंड स्कूल सरवरी में मंडी जिले के दिनेश गुप्ता व ममता ठाकुर ने कथक नृत्य व उसके महत्व के बारे जानकारी दी। दिनेश गुप्ता मंडी जिले के रहने वाले है और प्रदेश के पहले पुरुष कथक स्नातकोत्तर है।साहित्य कला परिषद दिल्ली से इन्हे छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई है। इसके साथ ही इन्हें हिमालयन कल्चर हेरिटेज हेरिटेज अवार्ड ,महाराजा सर चंद्रप्रकाश अवार्ड ,हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड स्वामी विवेकानंद अवार्ड ,हिमाचल और नृत्य शिरोमणी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।इसके साथ ही ये कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके है।दिनेश गुप्ता ने चंद्र आभा मेमोरियल स्कूल सरवरी के छात्रों को कथक नृत्य के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि कथक नृत्य उत्तर प्रदेश का शास्त्रिय नृत्य है। कथा कहे सो कथक कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को थिरकते हुए कहना है। प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था।कथक राजस्थान और उत्तर भारत की नृत्य शैली है। यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि महाभारत में भी कथक का वर्णन है। मध्य काल में इसका सम्बन्ध कृष्ण कथा और नृत्य से था। मुसलमानों के काल में यह दरबार में भी किया जाने लगा। वर्तमान समय में बिरजू महाराज इसके बड़े व्याख्याता रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में अधिकांश नृत्य इसी शैली पर आधारित होते हैं।वही देश व विदेश में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी कथक नृत्य की कुशल नर्तकी ममता ठाकुर कहा कि सफलता के इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कथक नृत्य कहानियों को बोलने का साधन है। इस नृत्य के तीन प्रमुख घराने हैं।