हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुबंई द्वारा माहत्मा गांधी हिन्दी पत्रिका पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित।

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सुरभि न्यूज़, मुबंई।
आज जब अधिकांश पत्र-पत्रिकाएं बंद हो रही है, ऐसी विकट स्थिति में हिन्दुस्तानी प्रचार सभा पत्रिकाओं को आर्थिक मदद कर प्रोत्साहन दे रही है। हिन्दुस्तानी प्रचार सभा ने मुबंई राजभवन के सभागार में राष्ट्रपति महात्मा गांधी द्वारा 1942 में स्थापित संस्था हिन्दुस्तानी प्रचार सभा मुबंई के वर्ष 2019-2020 के महात्मा गांधी हिंदी पत्रिका पुुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जिसमें महाराष्ट्र और गोवा राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। समारोह का आगाज सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका शशि निगम ने सरस्वती वंदना से किया। समारोह का संचालन सभा के निदेशक और साहित्यकार संजीव निगम ने किया। हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टी और मानद कोेषाध्यक्ष अरविंद डेगवेकर ने जानकारी देते हुए बताया कि पुरस्कार के लिए हिन्दी पत्रिकाएं आमंत्रित की गई थी जिसमें देश में प्रकाशित होने वाली 46 पत्रिकाओं की प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी उनमें से निर्णायकोें ने तीन पत्रिकायों ज्ञानोदय, व्यंग्ययात्रा तथा हंस का चयन किया। उन्होंने कहा कि पुरस्कारोें की राशि बढा दी गई है। सभा के ट्रस्टी एवं सचिव ने राज्यपाल को भारत के पहले क्रिया शब्दकोश की प्रति भेंट करते हुए कहा कि सभा ने भारत की कई जेेेलों में पुस्तकालय खोले हैं और देश भर के सभी 144 सेंट्रल जेलों में कैदियों को पढ़ने के लिए पुस्तकालय खोलने का विचार है। उन्होंने बताया कि गुजरात, श्रीलंका के केलानिया विश्व विद्याालय और मॉरीशस के महात्मा गांधी संस्थान में हिंदी पुस्तक खंड की स्थापना की है और जल्दी ही टोकियो विश्व विद्याालय में पुस्तक खंड खोलने जा रही है। राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने पुरस्कृत पत्रिकाओं को पुरस्कार वितरत करते हुए पहला पुरसकार 100000/- ज्ञानोदय को, द्वितीय पुरस्कार 75000/- व्यंग्ययात्रा को तथा तीसरा पुरस्कार 50000/- हंस पत्रिका को स्मृति चिन्ह के साथ वितरित किए। तिसरे पुरस्कार को ग्रहण करते हुए साहित्यकार स्व. राजेन्द्र यादव की बेटी और हंस पत्रिका की संपादक रचना यादव ने कहा कि भारत में हिंदुस्तानी प्रचार सभा एक ऐसी संस्था है जो पत्रिकाओं को पुरस्कृत करती है ऐसी गतिविधयों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। अन्य संस्थाओं को भी इस तरह के आयोजन करने की जरूरत है। इससे पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए प्रेरणा मिलती है।

राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने अपनी यादों को ताजा करत हुए कहा कि वे हंस पत्रिका नियमित रूप से पढ़ते थे और संपादक राजेन्द्र यादव की कई बातों से सहमत भी नहीं हो पाते थे किन्तु असहमति में भी सहमति हो जाए तो अच्छा लगता है वही सच्चा पाठक होता है। उन्होेंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नई प्रौद्योगिक-तकनालॉजी के दौर में पत्रिकाएं चंद्रमा की तरह छोटी-बड़ी होेती जा रही है परन्तु ध्यान रखना होगा कि अच्छी पत्रिकाएं विलुप्त न हो। उन्होंने संस्था के प्रति कहा कि गुजराती भाषी गांधी जी ने और मराठी भाषी हेेगड़ेवार ने हिंदी का बहुत प्रचार-प्रसार किया। गांधी जी ने हर क्षेत्र में कीर्तिमान के साथ हिंदी भाषा का बीज बोया है तथा हिंदी के विकास में उर्दू का बहुत बड़ा योगदान दिया हैै। गांधी जी बहुत दूरदर्शी थे उन्होंने हिंदी उर्दू मिश्रित भाषा को महत्व दिया। उन्होंने स्वभाषा को अपनाने के लिए दक्षिण भारत में हिंदी प्रचारिणी सभा का गठन किया था। हिंदी पत्र-पत्रिकाएं रोजी-रोटी कमाने के लिए प्रकाशित नहीं की जाती यह एक हिंदी को प्रचारित करने का ध्येय है। उन्होंने कहा कि विदेशियों का हिंदी के प्रति अनुराग बढ़ रहा और हम दुख व्यक्त करते हैं कि हिंदी पत्रिका प्रकाशित कर रहे है। देश के सभी प्राथमिक पाठशालाओं में अपनी-अपनी भारतीय भाषाओं की शिक्षा दी जाए तो सभी हिंदी अपने आप सीख जाएंगे। उन्होंने व्यंग्ययात्रा पत्रिका में छपी एक पंक्ति को सुनाते कहा कि ‘‘शहर के पौधे बनने के बजाए, गांव के पौधे बनें जो कभी मुरझाते नहीं है। इस आयोजन में शहर जाने माने साहित्यकारों, कवियों, लेखकों व गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया जिन्हमें वागीश सारस्वत, डॉ. अनंत श्रीमाली, चित्रा देसाई, मंजु लोढ़ा, प्रकाशक रामकुमार, गीतकार मनोज मुंतजिर, शेखर अस्तित्व, पत्रकार ओम प्रकाश तिवारी, हरीश पाठक, शैलेष तिवारी व आशा कुंद्रा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। अंत में राष्ट्रगान के साथ आयोजन का समापन किया गया।