सुरभि न्यूज़ , केलोंग।
दुनिया के सबसे रोमांचक सफर के आनंद का अनुभव करवाने वाला सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लेह मार्ग बहाल हो गया है। सीमावर्ती क्षेत्र लेह-लद्दाख मनाली से जुड़ गया है। मार्ग के खुल जाने से चीन व पाकिस्तान की सीमा पर बैठे प्रहरियों तक पहुंचना आसान हो गया है। मार्ग खुलने से सेना के जवानों को भी राहत मिल गई है। बीआरओ के सड़क बहाल करते ही रविवार को 11 बजकर 40 मिनट पर 7 टैंकर बारालाचा दर्रा पार कर लेह रवाना हुए।
बीआरओ हिमांक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर अरविंद्र सिंह और बीआरओ दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर एमएसबाघी ने संयुक्त रूप से वाहनों की आवाजाही को हरी झंडी दी बीआरओ ने 2 दिन पहले ही दोनों छोर जोड़ दिए थे तथा डीजल व पैट्रोल के ये टैंकर 2 दिन पहले ही दारचा में आकर रुक गए थे। यह मार्ग सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर रास्ते की तुलना में यह मार्ग सुरक्षित है। इसी वजह से भारतीय सेना इस सड़क को अधिक तरजीह देती है। अटल टनल बीआरओ का सहारा बनी है और पिछले साल की अपेक्षा डेढ़ महीना पहले सफलता पाई है। कुछ ही दिनों में भारतीय सेना मनाली-सरचू-लेह मार्ग पर अपनी आवाजाही शुरू कर देगी। दूसरी ओर पर्यटक भी इस मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा पाएंगे। दर्रे के दोनों छोर मिलते ही दुनिया का सबसे रोमांचक व ऊंचा मार्ग बहाल हो गया है।
दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले 16000 फुट ऊंचे बारालाचा दर्रे, 15580 फुट ऊंचा नकीला व 16500 फुट ऊंचा लाचुंगला दर्रे और साढ़े 17 हजार फुट तांगलांग ला दर्रे में खड़ी ऊंची बर्फ की दीवार को पिघला कर अपना लक्ष्य हासिल किया है। हालांकि अटल टनल बनने से जोखिम भरे रोहतांग दर्रे से बीआरओ को छुटकारा मिल गया है तथा 46 किलोमीटर का सफर भी कम हुआ है, जिससे अब लेह-लद्दाख की वादियों तक पहुंचना आसान हो गया है। हालांकि बीआरओ ने सड़क बहाल कर दी है लेकिन बारालाचा दर्रे में रविवार सुबह से हो रही बर्फबारी के कारण सफर अभी जोखिम भरा है। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि उन्होंने सरचू में अस्थायी कैंप स्थापित कर बारालाचा दर्रे पर दोनों ओर से चढ़ाई की है। बीआरओ ने लक्ष्य से डेढ़ महीना पहले मार्ग बहाल करने में सफलता पाई है।