सुरभि न्यूज़ बंजार । जिला कुल्लु में उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी समेत अन्य ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पिछले तीन दिनों से जारी बारिश व बर्फवारी का दौर आज थम सा गया है। तीर्थ टॉप, जलोड़ी दर्रा, वशलेउ दर्रा, सकीर्ण कंडा, देवकांडा, बुंगा टॉप, रंगथर थाच और लामभरी जोत समेत घाटी के अन्य ऊँचाई वाले गांव सरची, जमाला, बाड़ा सारी, शिल्ली, गरुली, भिन्डी थाच, मशियार, चिपनी, डिंगचा, नाहीं, घाट, लाकचा, पेखड़ी, बशीर, शिरीकोट, शपनील आदि में आज सुबह तक बर्फवारी का दौर चलता रहा और जहाँ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में करीब एक फुट तक तथा निचले इलाकों में करीब 2 इंच तक बर्फवारी दर्ज की गई है।
आज दोपहर बाद मौसम खुल जाने से धूप खिली उठी जिस पर लोगों ने राहत की सांस ली है। दशकों बाद अप्रैल माह में असमय हुई इस बर्फबारी के कारण बंजार की तीर्थन घाटी समेत समूचा क्षेत्र शीत लहर की चपेट में आ गया है जिस कारण यहाँ का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। दशकों बाद इस माह अचानक हुई इस बर्फवारी ने सब को अचंभित कर लिया है। इस बर्फवारी की बजह से घाटी के किसान एवं बागवान मायुस हो गए हैं क्योंकि अभी सेब के पौधों पर फ्लोवेरिंग हो रही है और लोगों ने कई नगदी फसलों की बिजाई भी की हुई है। कुछ लोगों ने अपने बगीचों में जालियाँ लगा रखी थी जिन पर बर्फ गिरने के कारण सेब के पेड़ों की टहनियां भी टूट गई है। इस बर्फवारी की वजह से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और बागवानों को सेब, प्लम, नाशपती ,आडू आदि फलों का काफी नुकसान झेलना पड़ा है और इसके अलावा किसानों की गेहूं, जौ, मटर, लहसुन जैसी नगदी फसलें भी खराब हुई है।
घाटी में सूखे की मार झेल रहे प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों के लिए बर्फवारी का होना लाभदायक भी माना जा रहा है। यहाँ के प्राकृतिक जल स्त्रोतों, बाबड़ी, चश्मों, नदियों, नालों के जल स्तर में एकाएक काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिस कारण पेयजल आपूर्ति की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी। तीर्थन घाटी की दूर दराज ग्राम पंचायत शिल्ली के युवा उपप्रधान एवं प्राकृतिक खेती कृषक मोहर सिंह ठाकुर का कहना है कि दशकों बाद इस माह अचानक हुई इस बर्फबारी की वजह से किसानों को सेब की फसल का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। इन्होंने बतलाया कि इस बार सेब के पौधों में बंपर फ्लोवेरिंग हुई थी और लोगों अच्छी पैदावार की उम्मीद थी लेकिन इस असमय हुई बारिश और बर्फवारी ने इस पर पानी फेर दिया है। लोगों ने सेब के बगीचों में जालियाँ लगाई थी जो बर्फ का भार सहन नहीं कर पाई जिस कारण कई सेब के पौधे भी टूट गए हैं।
इनका कहना है कि पहाड़ों में इस समय हुई बर्फबारी के कारण लोगों को प्राकृतिक स्त्रोतों में पीने के पानी की समस्या से नही जूझना पड़ेगा। तीर्थन घाटी के किसान एवं समाजसेवी लोभु राम और मोती राम का कहना है कि इस बार अचानक हुई बारिश और बर्फबारी ने दूरदराज गांव के लोगों का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। इन्होंने बताया कि इस माह अचानक हुई बर्फवारी से किसानों और बागवानों को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। यहाँ पर किसानों की गेहूँ और जौ की फसलें बर्फबारी के कारण तबाह हो गई है। इनका कहना है कि यदि यह बर्फवारी और ज्यादा बढ़ जाती तो किसानों को अपने फलदार पौधों और नगदी फसलों को बचाना कठिन हो जाता। बसन्त ऋतु में ताजा बर्फवारी होने के कारण बर्फ की सफेद चादर ओढे तीर्थन घाटी के पहाड़ धूप खिलने के बाद चांदी की तरह चमक उठे हैं। आजकल यहाँ के पल पल बदलते परिदृश्य अदभुत नजारा पेश कर रहे हैं। हालांकि इस समय तीर्थन घाटी में नाम मात्र पर्यटक ही लम्बी अवधि के लिए रुके हुए हैं जो यहाँ पर अपने दफ्तर का काम करने के साथ ही वीकेंड पर घूमने फिरने का पूरा लुत्फ़ उठा रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य के पुणे से अपने परिवार समेत आए अतिथि पर्यटक शांतनु घोष का कहना है कि यह लम्बे समय के लिए तीर्थन घाटी के होमस्टे में रुके हुए हैं और यहां पर यह अपने दफ्तर का कार्य करने के साथ साथ छूटी वाले दिन परिवार समेत घुमने फिरने का भी पूरा लुत्फ़ उठा रहे हैं। इन्होंने बताया यह अभी तक यहाँ के खुबसूरत प्राकृतिक स्थलों और कई सुन्दर पक्षियों की फोटोग्राफी भी कर चुके है