रविंद्र चंदेल कमल बिलासपुर। विश्व पर्यावरण दिवस पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद ज़िला बिलासपुर इकाई द्वारा प्रदेश स्तरीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन सायं 5:30 से 7:00 बजे तक गूगल मीट ऐप के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का आयोजन परिषद के ज़िला बिलासपुर के अध्यक्ष डॉ.अनेक राम सांख्यान के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद की सम्मानित सदस्य शीला सिंह ने किया। सभा की अध्यक्षता परिषद की प्रदेश अध्यक्षा डॉ. रीता सिंह ने की। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि डॉ. नंदलाल ठाकुर कार्यवाहक अध्यक्ष ललित कला अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि डॉ. गौतम शर्मा व्यथित साहित्यकार अखिल भारतीय साहित्य परिषद ज़िला कांगड़ा इकाई रहे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ.अनेक राम सांख्यान ने अध्यक्षा डॉ.रीता सिंह व मुख्यअतिथि डॉ.नंदलाल ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. गौतम शर्मा व्यथित तथा हिमाचल प्रदेश के सभी सम्मानित ज़िला अध्यक्षों सम्मानित साहित्यकारों का स्वागत किया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सांख्यान ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने का प्रण लेना चाहिए। अपनी कविता “मात्र पेड़ ही तो था” में उन्होंने प्रश्न उठाया “मात्र पेड़ प्राण-वायु देव नहीं ! धरा का परिधान था यह भेद नहीं !” कार्यक्रम के मुख्यअतिथि डॉ.नंदलाल ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य मानव जाति को प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है। दुनिया भर में आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। वर्ल्ड एनवायरमेंट डे वर्ष 1972 के बाद से हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसके उपरांत विशिष्ट अतिथि डॉ.गौतम शर्मा व्यथित द्वारा सम्बोधन में कहा गया कि पर्यावरण दिवस के दिन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए ये हम सभी को प्रयास करने चाहिए। प्रकृति के प्रति हमें संवेदनशील होने की जरूरत है। प्रदेेश के भिन्न-भिन्न ज़िलों से इस कार्यक्रम में शामिल हुए सम्मानित अध्यक्षों व सम्मानित सदस्यों व बिलासपुर इकाई के सम्मानित सदस्यों ने पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर सुंदर रचनाएं प्रस्तुत की। हिमाचल प्रदेश के सभी ज़िलों से शामिल सम्मानित सदस्यों में जिन की प्रस्तुतियां पटल पर रही उनमें त्रिलोक मेहरा, हेमराज, राज सिंह राज, प्रभात शर्मा, शेरू बाबा, इंदु बाला, हरिओम चतुर्वेदी, ईश्वर राही, डॉ. सुभाष, शक्ति चड्ढा, ललित मोहन, सुरेंद्र मिश्रा, रुपेश्वरी शर्मा, राकेश कुमार, जियालाल, आचार्य रोशन, स्वर्ण दीपक रैना, रमेश मस्ताना, सोम लता, कर्मपाल, शाम चंद आज़ाद, नील चंद चंदेल, स्वागत कर्ता व इस कार्यक्रम के आयोजक साहित्यकार बिलासपुर इकाई के कवियों ने भी अपनी सुंदर प्रस्तुतियां दी जिनमें भीम सिंह नेगी, रविंद्र साथी, डॉ. दिलबर कटवाल, डॉ. हेमा ठाकुर, विजय कुमारी सहगल, शीला सिंह, रविंद्र चंदेल कमल ने भी पर्यावरण के ऊपर अपनी रचना पढ़ी” फिर लौट चल उस युग में जहां धरा को मां है पुकारते।” अंत में कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं हिमाचल प्रदेेश परिषद की अध्यक्षा डॉ.रीता सिंह द्वारा सर्वप्रथम बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष व सदस्यों को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी तथा उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस पर जानकारी देते हुए कहा कि हम सभी को पर्यावरण को स्वच्छ रखना चाहिए तथा पौधारोपण करके जल बचाकर, बिजली की बचत करके और भी कई छोटे-छोटे प्रयास करके पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है उन्होंने आगे बताया कि साल 2021 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली इसका मतलब है पृथ्वी को एक बार फिर से अच्छी अवस्था में लाना। पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी प्रत्येक व्यक्ति की है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने की शुरूआत हम सर्वप्रथम अपने घर से कर सकते हैं अंत में उन्होंने कहा कि आप सभी साहित्यकारों ने इस अवसर पर एक से एक बढ़कर अपनी प्रस्तुतियां दी है। साहित्यकारों को अपना लेखन कर्म करते रहना चाहिए ताकि समाज का हित हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के गीत से आगामी सभी कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी। कार्यक्रम के अंत में डॉ. हेमा ठाकुर ने कार्यक्रम अध्यक्ष एवं प्रदेेश अध्यक्षा, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व संयोजक एवं ज़िला अध्यक्ष बिलासपुर इकाई और प्रदेेश के सभी सम्मानित ज़िला अध्यक्षों एवं सम्मानित साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान की मधुर धुन के साथ किया गया।
2021-06-06