सुरभि न्यूज़ (शीला सिंह) बिलासपुर। मानव जाति के लिए वन, वन्य जीव व पौधे सदा से ही जीवन निर्वाह हेतु सहायक रहे हैं। इसके अलावा वन्यजीव पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। जो किसी भी राष्ट्र के लिए धन संग्रह का माध्यम बनता है। मानव जाति के लिए वन और वन्य प्राणी अति उपयोगी है। ये हमारी प्रकृति की शोभा बढ़ाते है, पर्यावरण की रक्षा करते है व संतुलन बिठाते है। सदियों सदियों से हमारी प्रकृति ही हमारे अस्तित्व की नींव रही है। इस सौन्दर्य को बचाये रखना आवश्यक हो गया है। वनों का नष्ट होना और वन्य जीवों का विलुप्त होना आज चिन्ता का विषय बना हुआ है। यह मानव जाति के लिए भविष्य में भय की स्थिति बना रहा है। अतः इनका संरक्षण बहुत जरूरी है। वर्तमान समय में देखा जाये तो ग्रामीण परिवेश बड़ी तेजी से शहरों में परिवर्तित होते जा रहे है। वन कट रहे है और कंक्रीट के जंगल फैल रहे है। पेड़ो की इमारती लकड़ी की खपत ज्यादा बढ़ गई है। एक विशाल पेड़ बनने में जितने वर्ष लगते है उतने वर्षों में नये पेड़ नहीं बन पाते। परिणाम स्वरूप शुद्ध हवा से भी वंचित रहना पड़ता है। शहरों की आबादी दिन व दिन बढ़ती जा रही है क्योंकि लोग रोजगार की तलाश में गांवों से पलायन कर जाते है। पेड़ों की कमी से शहरों में अब घुटन बढ़ती जा रही है। विकास के नाम पर बड़ी बड़ी इमारतें, भवन व फैक्टरियों ने जगह घेर ली है। वन ही नहीं बचेंगे तो वन्य प्राणी कहाँ बसेरा करेंगे। अनेकों वन्य जीवों की प्रजातियाँ लुप्त हो रही है। आज का मानव स्वार्थ से भरा है निरीह व मूक प्राणियों का शिकार करने से नहीं चूकता। वन्य जीवों को मनुष्य भावहीन होकर नष्ट कर रहा है। अवैध शिकार और तस्करी से भले ही कुछ समय के लिए अपनी जेब में धन संग्रह कर लेता है परन्तु आने वाली पीढ़ियाँ के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है। खेद का विषय है कि धीरे धीरे वन भी खत्म हो रहे है और वन्य जीव भी। इस आपत्ति से निपटने के लिए यद्यपि सरकार द्वारा कानून भी बनाए गए हैं और उन पर भले ही कड़ी नजर भी रखी जा रही है तथापि वन्य संरक्षण हेतु नैतिक भावना निहित होनी चाहिए। मन से प्रण से हम सभी को प्रकृति से लगाव हो तभी बनों व वन्य जीव की प्रकृति शोभा बनी रह सकती है। वन और वन्य जीव संरक्षण का मानव जीवन में विशेष महत्व है। मानव जीवन तभी खुशहाल बनेगा जब प्रकृति में शुद्ध पर्यावरण रहेगा।
2021-07-31