सुरभि न्यूज़ कुल्लू। कुल्लू रंग मेले के आठवीं संध्या में ऐक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन के कलाकारों ने हास्य नाटक ‘भगवान का पूत’ को मंचित करते दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। राजा चट्र्जी के लिखे इस नाटक को हिन्दी रूपान्तरण नूर ज़हीर का है। संस्था द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं आज़ादी के अमृत महोत्सव भाशा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में कुल्लू के कलाकेन्द्र में आयोजित किए जा रहे इस नाट्योत्सव में केहर सिंह ठाकुर द्वारा निर्देशित यह नाटक हमारी झटपट चमत्कार की ओर आकर्शित होने की और अवतार मानने की हिन्दुस्तानी वृति को व्यंग्य से उभारा है।
एक मामूली जुलाहे का लड़का भगवान विष्णु का छद्म रूप धर कर राजकन्या को बेवकूफ बनाता है। यहां तक कि राजा भी मूर्ख बन जाता है। समझता है उसकी लड़की शापग्रस्त लक्ष्मी है। जब उसका जमाईं स्वयं भगवान विष्णु है तो उसे भला युद्ध में कौन पराजित कर सकता है। यही सोचकर वह पड़ोसी राज्यों से युद्ध छेड़ता है। बेटी से कहलवाता है कि भगवान से कहे कि युद्ध में हमारी मदद करें। जब यह बात विष्णु बने जुलाहे के लड़के को राजकन्या बताती है तो उसके पैर तले की ज़मीन खिसक जाती है। फिर किए की सज़ा भुगतने के लिए वह युद्ध में जाकर मरने का मन बना लेता है। इस पर सचमुच के भगवान विष्णु का सिंहासन डोल उठता है। वे पक्षीराज गरूढ़ से कहते हैं कि अगर वह जुलाहे का लड़का युद्ध में मारा गया तो पृथ्वी लोक पर हमारी पूजा करने वाला कोई नहीं बचेगा। सब समझेंगे कि भगवान विष्णु साधारण सेनापतियों द्वारा मारे गए। इसलिए भगवान स्वयं जुलाहे में प्रवेश होकर युद्ध में विजय दिलाते हैं। राजा और बाकि प्रजा जुलाहा अवतार विष्णु की जय हो के नारे लगाते हैं। इस नाटक में हिमाचली गीतों का समावेश तथा इसे हिमाचली परिवेश में ढाला गया है।
इस नाटक में हिमाचली किंवदतिंयों व देवभारथाओं के अनुसार स्रष्टि का आरम्भ कैसे हुआ पर आधारित एक गीत तथा देव संस्कृति पर आधारित ध्वजा नृत्य इस्तेमाल भी किया गया है। नाटक में राजा के रूप में केहर रानी आरती राजकुमारी ममता जुलाहा सूरज, बढ़ई जीवानन्द, मंत्री देस राज, राजपुरोहित रेवत, गरूढ़ और चित्रकार श्याम, कवि वैभव, सखियां प्रेरण और कल्पना, ओझा के रूप में श्याम लाल ने दर्शोकों का खूब मनोरंजन किया। वस्त्र व आलोक परिकल्पना मीनाक्षी, पाष्र्व ध्वनि संचालन अनुरंजनी, आनलाईन स्ट्रीमिंग भरत व वैभव, केमरा पर भरत और सुमित रहे।