निखिल कौशल कुुल्लू। अंतरराष्ट्रीय दशहरा के समागम में भाग लेने आए जिला के 281 देवी देवता वीरवार दोपहर को अपने-अपने देवालय को वापिस लौट गए हैं। लंका दहन में रघुनाथ यात्रा में भाग लेने के बाद देवताओं ने घर के लिए प्रस्थान कर दिया है। जिसके चलते ऐतिहासिक ढालपुर जो पिछले सात दिनों से तपोवन में तबदील रहा। एकाएक सूना पड़ गया है। दशहरा उत्सव में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए 200 किमी की दूरी तय कर पैदल यहां पहुंचे बाह्य सराज के अधिष्ठाता देव खुड़ीजल सहित अन्य सभी देवी देवताओं ने अपने-अपने देवालय की ओर प्रस्थान करना शुरू कर दिया है। जबकि बंजार, सैंज व मणिकर्ण तथा मनाली क्षेत्र के देवता चार पांच दिनों के अंदर अपने देवालय पहुंचेगें। गौर रहे कि सात दिनों तक अपने अस्थाई शिविरों में तपस्वी की तरह जीवन बिताने वाले देवता के कारकूनों व हरियानों ने देव परंपरा का अनुसरण कर इस प्रथा को सही ढंग से निभाया है। सात दिन तक लगातार इन कारकू नों को देवता की चाकरी करनी पड़ी है। उधर,दशहरा से देवताओं की देवालय वापसी की खबर सुनते ही ग्रामीण लोगों में खुशी की लहर है । देवताओं के दशहरा उत्सव में भाग लेने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सभी धार्मिक आयोजन व देवी देवताओं की पूजा अर्चना पूरी तरह से बंद पड़ी है। वहीं कुछ देवताओं के कपाट भी तब तक बंद रहते है जब तक देवता का रथ देवालय नहीं पहुंच जाता। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में देवताओं के मंदिर क्षेत्र व ग्रामीणों को पूरा वातावरण सूना सा रहता है।
2021-10-21