पालमपुर के दृष्टि ग्रुप के कलाकारों ने कुल्लू के पहले स्वतंत्रता सेनानी नाटक कंवर प्रताप सिंह का किया भावपूर्ण मंचन

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सुरभि न्यूज़

कुल्लू

ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा वं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश एवं हिमाचल कला भाषा एवं संस्कृति अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में कलाकेन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे 13 दिवसीय ‘हिमाचल नाट्य महोत्सव’ के समापन अवसर पर 13बें पालमपुर के दृष्टि ग्रुप के कलाकारों ने कुल्लू के पहले स्वतंत्रता सेनानी प्रताप सिंह पर आधारित नाटक कंवर प्रताप सिंह भावपूर्ण मंचन किया। केहर सिंह ठाकुर द्वारा लिखित व मीनाक्षी द्वारा निर्देशित इस नाटक ने दर्शकों की आंखें नम की और आंखों के सामने 3 अगस्त 1857 का वह दृष्य जब प्रताप सिंह और उनके साले वीर सिंह को देशद्रोही करार देते हुए अंग्रेज़ी सरकार ने धर्मशाला के खुले मैदान में हज़ारों लोगों की भीड़ के सामने फांसी के फंदे पर लटका दिया था ज़िन्दा हो गया। यह नाटक कुल्लू सिराज के युवराज प्रताप सिंह के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष को दर्शाता है।

कंवर प्रताप सिंह राज परिवार का होते हुए भी अपने हक की लड़ाई और सच की लड़ाई के लिए आम जनमानस को एकत्रित कर अंगे्रज़ी राज के खिलाफ बिगुल बजाया। उसने कुल्लू क्षेत्र की जनता को अंग्रज़ों को कर देने से मना कर दिया और उन्हें उनके खिलाफ अपने हक लिए लड़ने के लिए तैयार किया। साथ ही साथ प्रताप सिंह ने कुल्लू, लाहौल तथा बीड़ भंगाल की रियासतों के नेगी, नम्बरदारों और गांवों के मुखियों को भी इस आंदोलन के लिए तैयार किया। अपने गुप्तचरों के माध्यम से आसपास की रियासतों में पत्राचार कर उन्हें तैयार किया। लेकिन किसी कारण उनका एक गुप्तचर पकड़ा गया और सामुहिक विद्रोह नहीं हो पाया और अंग्रेज़ों ने प्रताप सिंह को उनके कुछ साथियों के साथ पकड़ कर मुकदमा चला कर 3 अगस्त 1857 को धर्मशाला के खुले मैदान में प्रताप सिंह और उनके साले वीर सिंह को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया। नाटक में वैभव ठाकुर, श्याम लाल, सूरज, पूजा, सपना, अनामिका, लक्ष्मी, देस राज, गौरव व रेवत राम विक्की कलाकारों ने अपने अपने किरदारों से उस समय के स्वतन्त्रता संग्राम को ज़िन्दा कर दिया और लाला चन्द प्रार्थी कलाकेन्द्र जय सकीर्णी महादेव के नारों से गूंज उठा।

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