सुरभि न्यूज़
खुशी राम ठाकुर, बरोट।
चौहार घाटी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है परन्तु मंच न मिलने के कारण अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका नहीं मिल पाता जिस कारण कई प्रतिभान उभरकर बहार निकल नहीं पाते। कई ऐसे भी प्रतिभाशाली कलाकार है जो हार नहीं मानते हुए हमेशा अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत रहते है। ऐसे ही प्रतिभाशाली लोक गीतकार एवं गायक है मेंदू सकलानी जिन्होंने अपनी लगन व कड़ी मेहनत से मंजिल हासिल की है। चौहार घाटी की दुर्गम धमच्याण पंचायत के गाँव ग्रामण के रहने वाले मेदू राम सकलानी एक गरीब किसान नानक चन्द के परिवार से संबंध रखते है। मेदू सकलानी ने आजतक दर्ज़नों कुल्लवी, मंडयाली तथा स्थानीय भाषा में गीत लिख कर कई सुप्रसिद्द गायक कलाकारों के माध्यम से रिकोर्ड कर खूब वाहवाही लूट चुके हैं। मेदू राम सकलानी द्वारा लिखे गए गीत सारा हांडिरा रा शिमला, झुरी रे पाऊंणचारी, चल मेरेया भंऊरूआ, शौभली शानौरिए टके रा बेचना बांसला, सेसू पंडता वे, हासी खेली ओ मेईना तथा बाल्हा पई बरखा गीतकर लिख चुके है। इन गीतों को प्रदेश के जानेमाने पहाड़ी गायक नरेंद्र ठाकुर, राजकुमार लगवाल, देवेन्द्र भारद्वाज, नरेंद्र कुमार, डाक्टर कुलदेव, रूप सिंह , बीएस भारद्वाज, मदन, धनि राम, सुनीता भरद्वाज, यादव चौहान, मीना टंडन द्वारा गाया जा चुका है। लोक गायक नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि मेदू सकलानी के लिखित और उनके द्वारा गाये गीत झूरी रे पाऊंण चारी शिखा खाई रजिए, टके रा बेचणा बांसला गीत दर्शकों एवं श्रोतायों ने बेहद पसंद किए है। मेदू सकलानी द्वारा लिखे गए गीत विवाह तथा अन्य विशेष समारोह में डीजे पर खूब सुनने को मिलते हैं जिनका लोग खूब मनोरंजन करते हैं। मेदू सकलानी आजकल स्वयं गीत लिख कर उन्हें स्वयं गाकर अपने यु ट्यूव चैनल पर डाल रहे हैं। जिनमें से मेदू राम सकलानी द्वारा लिखित लुम्बरूआ, भेड़ा पुहालू , हुरंग नरायणा वे भाठ मनी बशाखिए, गहरा री रूठीरी, खाली गलास रहू तेरा, नोंई झुरिरा झुरणा, कुणी हुन्दरे जीणा, म्हारे गुरा, आई छिक, बोली बिसरी आपणी, भोलिए सनियारिए तथा गणूआ बेरड़ा रोमांटिक व विरह गीतों को अपनी आवाज दे कर यु ट्यूव चैनल में धूम मचा रहे है। मेदू सकलानी द्वारा गाए गए गीत प्रदेश के कोने–कोने में खूब पसंद किए जा रहे है और लोक गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके है।