सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू
भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस का दो दिवसीय आयोजन शक्ति सिंह राणा की अध्यक्षता में देव सदन भवन कुल्लू में किया गया।
पहले दिन एक नवम्बर, 2022 को प्रथम सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश भर से लगभग 45 कवियों ने भाग लिया। दूसरे सत्र में रा. व मा. पा. (बाल) ढालपुर के छात्रों द्वारा लोकनाट्य हाॅर्न का मंचन किया गया।
दूसरे दिन 2 नवम्बर को लेखक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश भर से आए लगभग 15 लेखकों ने परिचर्चा में भाग लिया।
आयोजन का आगाज सुलोचना शर्मा ने सरस्वती वंदना से किया तदोपरांत रा. व मा. पा. (कन्या) सुलतानपुर की छात्राओं द्वारा कुल्लवी बोली में समूह गान व कुल्लवी नाटी को प्रस्तुतियां दी।
कुल्लू के साहित्यकार दीपक शर्मा द्वारा ‘लोक भाषा और लोक संस्कृति के संरक्षण में चुनौतियां तथा समाधान’ विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। शोध पत्र पर प्रदेश भर से आए साहित्यकारों ने परिचर्चा में भाग लिया।
जिला मण्डी के साहित्यकार डा. रमेश कनूर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन गांव तथा ब्लाॅक स्तर पर करवाए जाने चाहिए।
सोलन से साहित्यकार यादव किशोर गौतम, शिमला से जगदीश कश्यप ने लोक भाषा तथा लोक संस्कृति के विषय पाठ्यक्रम में लगाए जाने चाहिए जबकि हमीरपुर से कार्तक, बिलासपुर के साहित्यकार सुरेन्द्र मिन्हास ने लोक संसकृति व भाषा में हमारी आस्था में कमी होती जा रही है तथा इनमें समाधान के लिए अधिक से अधिक लोक गाष्ठियां आयोजित करवाई जानी चाहिए।
तिलक राज कुल्लू ने कहा कि हमें अपने परिवार से लोक भाषा व संस्कृति की शुरूआत करनी चाहिए जबकि पूर्व जिला भाषा अधिकारी सीता राम ठाकुर ने कहा कि पहले हमें स्वयं पहाड़ी भाषा में अपनी संस्कृति को बचाने के लिए कुछ न कुछ लिखना होगा।
सत्यपाल भट्नागार कुल्लू ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने घरों में अपनी-अपनी बोली में बात करनी चाहिए जबकि सुरत ठाकुर, दिनेश शिक्षार्थी, कमल किशोर, कुल्लू, रमेश मस्ताना, प्रभात शर्मा, कांगड़ा तथा हेमराज मण्डी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में विभाग के सहा. निदेशक अलका कैंथला, कुसुम संघाईक, भाषा अधिकारी सरोजना नरवाल उपस्थित रही।