चौहार घाटी व छोटा भंगाल के जंगलों में गल-सड़ रही है बेस्किमती इमारती तथा बालन लकड़ी

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सुरभि न्यूज़ 

खुशी राम ठाकुर, बरोट

मंडी जिला के चौहार घाटी तथा साथ लगती जिला कांगड़ा की छोटा भंगाल में कुदरत ने कई प्रकार की औषधिया जड़ी बूटियों के साथ–साथ घने जंगलों की सौगात बख्शी हुई है।

इन घने जंगलों में देवदार, रई, कैल, तोष, खरसू तथा रखाल आदि के काफी बड़े – बड़े पेड़ पाए जाते है तथा अधिक ऊँचाई पर सेंकडों किस्म की जड़ी – बूटियां पाई जाती है जो औषधी के रूप में प्रयोग की जाती है मगर इनका सही ढंग से दोहन न होने के कारण न तो स्थानीय लोगों को  सही तरह से लाभ मिल रहा है और न सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो रही है।

जड़ी-बूटियाँ का जंगलों से सही ढंग से दोहन न होने से अपना जीवन समय अवधि पूरा होने से गल-सड़ कर बर्वाद भी हो रही है तथा जड़ी-बूटियाँ  निकालने का सही ज्ञान न होने से भी गलत ढंग से दोहन किया जा रहा है।

स्थानीय निवासी भाग चंद, रामधन, बलदेव, इंद्र सिंह का कहना है कि दोनों घाटियों में देवदार, रई, कैल, तोष, खरसू तथा रखाल आदि के सघन जंगल होने के साथ बड़े पेड़ भी है।

बर्फवारी तथा बरसात में जंगलों में बहुत पेड़ गिर जाते हैं या फिर टूट जाते है मगर इन गिरे हुए पेड़ों का भी सरकार द्वारा दोहन न करने के कारण लाखों की वनसंपदा जंगलों में गल-सड़ जाती है जिसका स्थानीय लोगों को कोई भी लाभ नहीं मिल पाता है।

उनका कहना है कि अगर सरकार व वन विभाग इनका सही ढंग से दोहन करे तो लोगों को इमारती व जलाने के लिए लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो सकती है तथा सरकार को भी अछा लाभ मिल सकता है।

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