सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू /मंडी
अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव में हिमाचल प्रदेश के कलाकारों को मंडी प्रशासन ने शिवरात्रि मेले के आयोजित होने वाली रात्रि सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम के लिए ऑडिशन दिए गए थे। ऑडिशन में सिलेक्ट हुए कई कलाकारों को कार्यक्रम नहीं मिला जिस कारण हिमाचल प्रदेश के कई कलाकार मंडी प्रशासन की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में कलाकारों ने मंडी प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर की है।
हिमाचल एक सूत्र कला मंच के कार्यकारी अध्यक्ष करतार कौशल ने बताया कि मंडी शिवरात्रि में पहली बार देखने को मिला कि हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों के कलाकारों ने ऑडिशन दिए गए और उन कलाकारों को ऑडिशन देने के बावजूद भी मंच प्रदान नहीं किया।
उन्होंने कहा कि हैरानी इस बात की है कि इस ऑडिशन में ऐसे कलाकारों ने भी ऑडिशन दिया जो बरसों से अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे हैं जो उनके साथ एक मजाक था।
उन्होंने बताया कि उदाहरण के तौर पर जंजैहली से प्रसिद्ध लोक गायिका कला चौहान जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है उनसे भी निर्णायकों ने ऑडिशन लिया जो एक कलाकार की सबसे बड़ी बेज्जती है।
उन्होंने कहा कि दुख तब होता है जब कुछ कलाकार निर्णायक बंधुओं द्वारा सेलेक्ट हो जाने के बावजूद भी उन्हें मंच में समय नहीं दिया गया। यह एक कलाकार के साथ बहुत बड़ी वेइंसाफी है।
उन्होंने कहा कि मंडी प्रशासन ने मंडी शिवरात्रि के लिए समाचार के माध्यम से ऑडिशन की डेट फाइनल की थी जिसमें हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों के कलाकार ऑडिशन देने पहुंचे। कलाकारों ने भारी भरकम किराया दे कर व कीमती समय निकाल कर ऑडिशन दिया परन्तु उनको मंच नहीं दिया गया ऐसा पहली बार हुआ है।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मंडी शिवरात्रि में हिमाचल प्रदेश की कलाकारों को मंच नहीं मिला। जो नए उभरते कलाकार हैं और चाहते हैं कि बड़े मंच पर अपनी कला दिखा सकें ऐसे कलाकारों को मंच न मिलने से मंडी प्रशासन की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है।
बता दें कि ऑडिशन देने आए प्रतिभागी कलाकारों ने अपने जिले का ठेठ गीत सुनाया और जिसमें लगाये गए आर्केस्ट्रा की टीम को बजाना ही नहीं आए तो उसमें कलाकार की गलती नहीं बल्कि उस ऑर्केस्ट्रा की है।
उन्होंने बताया कि मंडी शिवरात्रि के लिए लगभग 300 से ज्यादा कलाकारों ने ऑडिशन दिए हैं और उनमें से मात्र निर्णायक मंडल ने 24 कलाकारों को ही सिलेक्ट किया है। इन 300 कलाकारों में से 100 ऐसे कलाकार थे जो कई सालों से हिमाचल प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तरीय मेलों में अपना कार्यक्रम पेश कर चुके हैं और यूट्यूब और सोशल मीडिया पर उनके कई ऐसे गाने हैं जिन्हे लाखों लोगों ने पसंद भी किया है और लाइक भी किया है।
हिमाचली एक सूत्र कला मंच के अध्यक्ष करतार कौशल ने बताया कि छोटे कलाकारों को हर मेलों में कार्यक्रम केलिए कई परेशानियां झेलनी पड़ती है चाहे वह कार्यक्रम लेने के लिए या फिर मिलने वाले अनुदान को लेकर हो उन्हें बेइज्जत किया जाता है।
अध्यक्ष करतार कौशल ने हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि इस मामले की जांच हो और हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तरीय मेलों में उभरते कलाकारों के लिए ठोस नीति बनाई जाए। जो विख्यात कलाकार है जो वर्षों से कार्यक्रम दे रहे हैं प्रशासन उनके लिए भी नियम तय किये जाएँ।
नए कलाकारों के लिए ऑडिशन ले और कलाकारों की कैटेगरी के हिसाब से मानदेय तह करें। ऑडिशन के लिए ऐसे व्यक्तियों को निर्णायक के तौर पर बैठाया जाए जो संगीत का अच्छा ज्ञान रखता हो।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि कलाकारों को केटा गिरी के हिसाब से स्थाई मानदेय प्रस्तावित करें। सर्वप्रथम जिस जिले में कोई भी आयोजन हो उस जिले के कलाकारों को तरजीह दी जाए। जिले के उत्कृष्ट कलाकारों के साथ-साथ उभरते कलाकारों को भी मंच में मौका दिया किया जाए ताकि हमारी संस्कृति को बढ़ावा मिल जाए।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिला स्तरीय मेलों के आयोजन में प्रशासन अपनी भागीदारी निभाएं ताकि कलाकारों को प्रताड़ित ना होना पड़े। अक्सर देखा गया है प्रशासनिक अधिकारी स्थानीय कमेटी बनाकर अपना पल्ला झाड़ देते हैं और वे कलाकारों के साथ राजनीति कर उन्हें प्रताड़ित करते हैं।
वहीं उन्होंने सरकार से मांग की है कि कलाकारों के साथ राजनीतिक न करके किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए तथा जो भी सांस्कृतिक कार्यक्रम हो वह प्रशासन के देखरेख से होने चाहिए।
करतार कौशल ने कहा कि शीघ्र ही हिमाचल एक सूत्र कला मंच का प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेगा और कलाकारों के हितों की बात रखेगा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सभी उभरते कलाकारों से आग्रह किया है कि वह हिमाचल एक सूत्र कला मंच से जुड़ें। यह एक ऐसा गैर राजनीतिक संगठन है जो कलाकारों के हितों की के लिए आवाज उठाता है और हिमाचल की संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा कार्य करता आ रहा है।