जिला कुल्लू में नि:शुल्क वैदिक चिकित्सा द्वारा सुवर्णप्राशन संस्कार शिविर का किया आयोजन

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

कुल्लू

हमारे ऋषि मुनियों द्वारा 5000 साल पुराना टीका जो गुरुकुल मे एक दिन से 14 साल तक के बच्चों को पिलाया जाता था वही परम्परा संस्कृत आर्य गुरुकुलम के मार्गदर्शन से वैदिक चिकित्सा केंद्र मे किया जाता है।

जिला कुल्लू के वैदिक चिकित्सा केंद्र गाँव रायल डाकघर पीज के वैदिक चिकित्सक जीतेन्दर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आज नि:शुल्क सुवर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया गया जो वैदिक चिकित्सा केंद्र द्वारा प्रतिमाह आयोजित किया जाता है। अगला शिविर 30 मार्च को आयोजित किया जायेगा।

शिविर में  38 बच्चों को निशुल्क मन्त्रों औषधि सुवर्णप्राशन पिलाया जिसमे एक दिन से लेकर 14 साल तक के बच्चों को  सुवर्णप्राशन पिलाया जाता है।

आप भी अपने एक दिन से लेकर 14 साल तक के बच्चों को मंत्रऔषधि सुवर्णप्राशन दें और उन्हें भविष्य में होने वाले 800 रोगों से सुरक्षा प्रदान कर सकते है।

उन्होंने कहा कि सुवर्णप्राशन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। पुष्य नक्षत्र पर मंत्र का उचारण के साथ स्वर्णप्राशन को पिलाया जाता है। पुष्य 27 नक्षत्रों में से एक है। इसे इन्द्रपुरोहित, पुष्य, पुष्क, पुष्कर्य, पुष्करराज, पुष्यामी, पूसम (तमिल), पूय्यम, पौषक्य, तिष्य, तैसा और वुतकृता के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन औषधियों का सेवन क्रिया की दृष्टि से बहुत प्रभावशाली माना जाता है। चूंकि, स्वर्ण प्राशा का मुख्य घटक सोना है, यह सोना खरीदने, तैयारी करने व प्रबंधित करने के लिए एक शुभ दिन है। कुछ का दावा है कि इस दिन सोने में औषधीय शक्ति का विकिरण अधिक होता है। किसी भी प्रकार की दवा देने के लिए यह अच्छा दिन होता है।

उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन पुष्य नक्षत्र के दिन से शुरू करना चाहिए और उसके बाद रोजाना सुबह जल्दी दिया जा सकता है, लेकिन यदि रोजाना देना संभव न हो तो कम से कम लगातार पुष्य नक्षत्र के दिनों में दिया जाना चाहिए जो हर 27 दिनों के बाद आता है।

चिकित्सक ने बताया कि स्वर्णप्राशनआयुर्वेद के ऋषि-मुनियों द्वारा वर्णित अनुभूत योग है जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, साथ ही सर्वांगीण विकास करता है। बच्चों में सुनने, बोलने, समझने आधी शक्तियों का विकास करता है और बच्चों को सर्दी ,जुकाम, मौसमी बीमारियों से बचाता है। एंटीबायोटिक से होने वाले दुष्परिणामों से बचाने के साथ बच्चों की स्मरण शक्ति और बुद्धि के विकास को बढ़ाता है। बच्चों में समरण शक्ति को बढाने के साथ -साथ मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों में इसके अनेक चमत्कारिक लाभ मिलते हैं।

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