मंडी जिला परिषद मीटिंग में जिला परिषद पदाधिकारियों के मानदेय व सालाना निधि बजट को लेकर बैठक का किया बहिष्कार,  बहुत से प्रस्ताव नहीं हो पाये पारित 

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

मंडी / जोगिन्दर नगर 

मंडी जिला परिषद की आज मंडी में हुई मीटिंग में कुछ जिला परिषद सदस्यों द्वारा आज मीटिंग में आने के बाद इस बैठक का बॉयकॉट करने से कोरम पूरा न होने के चलते बहुत से प्रस्ताव पारित नहीं हो पाये। ज़्यादातर भाजपा से जुड़े जिला परिषद सदस्यों ने मीटिंग का बहिष्कार किया। उनका कहना था कि जिला परिषद अध्यक्ष का मानदेय बढ़ाकर 20000 रूपये मासिक व उपाध्यक्ष का 15 हजार रूपये मासिक किया गया है जबकि जिला परिषद सदस्यों के मानदेय में मात्र 500 रूपये की नाममात्र बढ़ोतरी की गई है। जिला परिषद सदस्यों को प्रति माह मात्र 6500 रू. मानदेय दिया जा रहा है। जिला परिषद सदस्य 26 से 30 हजार वोटरों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा एक पंचायत प्रधान तथा एक या दो पंचायतों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंचायत समिति सदस्यों को भी हर महीने जिला परिषद सदस्यों से 500 रू. कम यानि 6000 रू. मानदेय मिलता है यह जिला परिषद सदस्यों का अपमान है।

वहीं भराडू वार्ड के जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने बाकी जिला परिषद सदस्यों की भावना को समझते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बैठक का बहिष्कार करना ठीक बात नहीं है। हमारे पास पूरे जिला की सभी पंचायतों से मनरेगा की सेल्फ पहुंची हैं तथा इसी बैठक में हमें इन सेल्फों को पारित करना चाहिए ताकि मनरेगा के काम सब जगह शुरू हो सकें जिससे गरीब जनता को मनरेगा में काम मिल सके। गांवों में खेती-बाड़ी उजड़ चुकी है तथा कोई सरकार किसानों की सुध नहीं ले रही है। कई गरीबों के लिए मनरेगा ही परिवार की गुजर बसर का एक मात्र सहारा है। अतः बैठक का बॉयकॉट करना गरीब जनता के हक़ में सही नहीं है।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि जिला परिषद बनने के पहली ही मीटिंग में जिला परिषद सदस्यों का मानदेय बढ़वाने के प्रस्ताव का मैंने तब भी विरोध किया था और कहा था कि जिला परिषद सदस्यों की सालाना निधि बढ़ाकर 50 लाख रू. की जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य करवा सकें। उन्होंने कहा कि पीछली सरकार के दौरान भी तत्कालीन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर तथा प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था कि निधि आबंटन में टाइड व अनटाइड की बेतुकी शर्त हटाई जाये। जब हमारे देश में स्वच्छ भारत मिशन तथा जल जीवन मिशन के तहत अरबों रू.खर्च किये जा रहे हैं तो फिर जिला परिषद को अपनी कुल निधि से 60 प्रतिशत राशि सेनिटेशन और वाटर में खर्च करने की बाध्यकारी शर्त क्यों थोंपी गई है। इस पर पिछली सरकार खामोश रही। बैठक में मैं ये भी मांग करता हूँ कि इस बेतुकी शर्त को हटाया जाये। यदि यह शर्त हटती है तो जिला परिषद निधि का ज़्यादातर पैसा सड़क, रास्ता, मोक्षधाम, रेनशेल्टर, पार्क, मैदान, सामुदायिक भवन, महिला मण्डल भवन, युवक मण्डल भवन, स्कूल व अन्य जगह चारदीवारी तथा फर्नीचर सहित जरूरी विकास कार्यों में लगेगा।

उन्होंने मांग की है कि जिला परिषद की निधि का पैसा पंचायतों को देने के बजाए यह अधिकार जिला परिषद सदस्य संबन्धित विभागों, गाँव की पंजीकृत समितियों, महिला मंडलों, युवक मंडलों तथा संबन्धित स्कूल प्रबंधन आदि को सीधे निधि जारी की जाये। इससे कम पैसे में ज्यादा काम होंगे तथा समय की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि अपना वेतन बढ़ाने के मुद्दे पर मीटिंग का बॉयकॉट करना सही कदम नहीं है और व्यक्तिगत रूप से समर्थन नहीं करता हूँ।  मैं जिला सभी परिषद सदस्यों की भावनाओं की कद्र करता हूँ। बैठक के बहिष्कार से सभी विकास कार्य रूकेंगे और मनरेगा के काम विलंबित होंगे।

कुशाल भारद्वाज के इस निर्णय का डलाह वार्ड के जिला परिषद सदस्य रविकान्त, कोट बल्ह से जागृति राणा, महादेव वार्ड से जसवीर सिंह, थाची वार्ड से हिमा देवी सहित कुल 12 सदस्यों ने समर्थन किया तथा उन्होंने बैठक में अपनी उपस्थिती दर्ज कारवाई वहीं 4-5 जिला परिषद सदस्य आज की बैठक में नहीं आए थे।

 

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