बहिरंग थिएटर ग्रुप कुल्लू व लाहौल स्पिति ने उदयपुर के मयाड़ घाटी में ‘जनजातीय क्षेत्र में महिलाओं का जीवन’ पर आधारित की गोष्ठी

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

उदयपुर / केलांग 

जनजातीय ज़िला लाहौल स्पिति के उदयपुर उपमण्डल की मयाड़ घाटी की ग्राम पंचायत चिमरेट के दुर्गम गाँव तमलू में बहिरंग थिएटर ग्रुप कुल्लू व लाहौल स्पिति की ओर से ‘जनजातीय क्षेत्र में महिलाओं का जीवन’ पर आधारित एक गोष्ठी का आयोजन संस्था की अध्यक्ष आरती ठाकुर के नेतृत्व में किया गया।

गौरतलब है कि आरती ठाकुर हिमाचल के रंगमंच की एक प्रसिद्व अभिनेत्री हैं और जनजातीय क्षेत्र के इसी तमलू गाँव से सम्बन्ध रखती हैं। इस गोष्ठी  के बहाने आरती ठाकुर ने जनजातीय क्षेत्र की महिलाओं के कठिन जीवन की टोह लेने की कोशीश कोशिश की।

पहले चुप सी रहने के बाद धीरे धीरे महिलाओं ने अपनी भावनाओं और इस दुर्गम क्षेत्र में अपने जीवन की कठिनाईयों को खुल कर सामने रखा। महिला मण्डल की प्रधान शानदेई का कहना है कि ‘हालांकि इस क्षेत्र में पुरुषों का शराब पीने, छोलो और ताश खेलने का बहुत चलन है।

यह किसी तरह से कम हो जाए तो क्षेत्र की महिलाओं को पुरुषों से मानसिक शान्ति और शारीरिक श्रम करने में बहुत अधिक सहायता मिलेगी। क्योंकि इस क्षेत्र में महिलाएं खेत खलियानों से लेकर पशूयों की देखभाल और घर के रसोई का कार्य स्वयं करती हैं। ऐसे में जिन महिलाओं को पुरुष का अच्छा साथ मिलता है तो वह परिवार यहाँ के कठिन जीवन का मुकाबला हँसते हँसते कर सकता है।

गाँव के सैल्फ हैल्प ग्रुप की अध्यक्ष प्रेम प्यारी का कहना है कि अब औरतें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी आगे आ रही है जबकि पहले तो घर के पुरुष ने जैसा किया वह ही होता था और योजनाओं का महिलाओं को पता ही नहीं होता था।

अन्य महिलाओं ने भी अपने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम इन्हीं पहाड़ों में जन्मी महिलाएं हैं, इस दुर्गम क्षेत्र की माटी हमारी माँ है और हम इसी माटी के साथ हर मौसम में खेलते खेलते आलू और मटर की सब्जियां उगाती हैं।

अगर पतियों और भाई बंधुयों का साथ मिलता है तो जीवन अनायास ही सरल और सुन्दर हो जाता है। इस परिचर्चा में मातायों के साथ बच्चों ने
भी भाग लिया और अपने माता पिता के रिश्तों पर अपनी अपनी नज़र से रोशनी डाली।

इस सादे से माहौल में की गई परिचर्चा में शिला,  प्रेम प्यारी,  मोनिका, शानदेई, सुनीता, प्रोमिला, नीतू, आदि, शिबू, दिव्यांष, गुन्जन, अनिरूद्व, सुहानी तथा सुर्यान्ष महिलाओं और बच्चों ने हिस्सा लिया।

 

 

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