बहिरंग थिएटर ग्रुप कुल्लू एवं लाहौल स्पिति द्वारा नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का किया सफल मंचन

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सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू

कुल्लू के दमसेहड़ स्थित हाई स्कूल बदाह के प्रांगण में बहिरंग थिएटर ग्रुप कुल्लू एवं लाहौल स्पिति द्वारा भारतेन्दु हरिष्चन्दर द्वारा लिखित प्राख्यात नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का सफल मंचन किया गया। आरती ठाकुर द्वारा निर्देशित इस नाटक को विद्यालय के छात्रों, अध्यापकों तथा आसपास के ग्रामीणों ने देखा तथा सराहा। नाटक एक ऐसे राजा को दिखाता है जो हर चीज़ को एक समान समझता ह। वह लोहे और सोने में कोई अन्तर नहीं समझता इसलिए उस नगरी का नाम अंधेर नगरी है और राजा का नाम चौपट है। वाक्या कुछ ऐसा होता है कि कल्लू बनिए की दीवार गिरने से एक आदमी की बकरी दब कर मर जाती है। तो राजा अपने तरीके से न्याय करने की कोशिश करता है। करीगर बोलता है मेरी दीवार चूनेवाले की वजह से गिरी और चूनेवाला बोलता है मिस़्त्री ने ज़्यादा पानी डाला, मिस्त्री बोलता है गडरिये की भेड़ बड़ी थी उसकी मशक बड़ी बन गई, गडरिया बोलता है कि कोतवाल साहब ने शहर में सवारी धूम से निकाली थी इसलिए उसे देखने में छोटी बड़ी भेड़ का अन्दाज़ा ही नहीं लगा। अब कोतवाल को राजा बकरी दब कर मरने के लिए ज़िम्मेदार ठहराता है और उसे फांसी की सज़ा देता है। फिर पता चलता है कि कोतवाल तो पतला है और फांसी का फंदा उसके गले में फिट नहीं आ रहा। तो आदेष हुआ कि किसी मोटे आदमी को पकड़ कर फांसी पर चढा दो नही ंतो न्याय नहीं होग। बकरी मारने के अपराध में किसी न किसी को तो फांसी पर चढाना ही पड़ेगा। अब वे एक मोटे साधु गोबरधनदास को पकड़ते हैं और उसे बकरी मारने के जुर्म फंदे पर चढाने लगते हैं। तभी उसका गुरू प्रकट होता है और अपने चेले के साथ कुछ खुसफुस करता है। अब चेला बोलता है कि मैं फांसी चढूगां और गुरू कहता है मैं फांसी चढूगां। राजा आता है और पूछता है कि गुरू जी आप दोनों ऐसा क्यों कह रहे हैं। तो गुरू बोलता है कि राजा इस समय कुछ ऐसा मुहुर्त है कि जो भी फांसी चढेगा सीधा वैकुण्ठ जाएगा। तो राजा बोलता है कि राजा के होते हुए कोई कैसे वैकुण्ठ जा सकता है मुझे फांसी पर चढाओ। इस तरह से उस मूर्ख राजा का अन्त खुद व खुद हो जाता है। पाठ्यक्रम में यह नाटक होने से स्कूली बच्चों ने इसे बहुत पसन्द किया और उन्हें और अच्छी तरह से समझ में आया। नाटक में कुनाल, अंजली, राहुल, सत्यम, दीपक, सोना, पलक, ऋशिका, कृतिका, गीतांजली, हंसू, राधा, हनिका, और गीता कलाकारों ने अपने अभिनय से उपस्थित दर्शकों का मनोरंजन किया।

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