डॉ देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी मोहरा का किया मार्मिक प्रस्तुतिकरण

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सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू

ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग सेतथा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू व ज़िला सांस्कृतिक परिषद् कुल्लू के संयूक्त तत्वावधान में कलाकेन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे अपने वार्षिक नाट्योत्सव कुल्लू रंग मेला की दूसरी संध्या संस्था के कलाकार रेवत राम विक्की ने एकल अभिनय के माध्यम से डॉ देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी मोहरा का मार्मिक प्रस्तुतिकरण किया। केहर सिंह ठाकुर के निर्देशन में इस नाट्य प्रस्तुति ने हमारे समाज में फैली जात पात और ऊँच नीच बुराई को एक गहरे तल से उकेरा। यह कहानी मोहरा देवताओं के मोहरे बनाने वाले एक ऐसे शिल्पी नीरतू की है जो अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखता है। वह देवता के मोहरे बनाने वाले खानदान से है। कहानी उसके छोटे से बच्चे के मुख से हमारे समाज में फैली ऊँच नीच और जात पात पर बहुत से मूक प्रश्नों को उठाती है। बच्चा समझ ही नहीं पाता कि जब उसके बाप नीरतू ने देवता के मोहरे भक्ति भाव से दिन दिन भर भूखे पेट रह कर, दिन में सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण कर बनाया और उन्हें अपने शिल्प से कला रूप मे सजाता है तो फिर वे ज्यों ही देव रथ मे प्रतिष्ठित हुए तो उन्हें ही बनाने वाला उन मोहरों को अब क्यों नहीं छू सकता। जब वह मासुम बच्चा बाकि बच्चों की तरह मन्दिर में देव रथ को प्रणाम करने गया तो उसे सवर्ण जात वालों ने क्यों मारा पीटा और अधमरा कर दिया। यह सब प्रश्न लेकर जब वह अपने बाप की ओर मुखातिब होता है तो बाप इतना ही क्यों कहता है कि अभी उम्र नहीं है तेरी कि तू ये सब कुछ समझ सके। नाटक में वस्त्र व प्रकाष परिकल्पना मीनाक्षी की रही।

 

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