केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में सहकारिता क्षेत्र में FPO विषय पर राष्ट्रीय महासंगोष्ठी-2023 का किया उद्घाटन

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

शिमला, 14 जुलाई

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सहकारिता क्षेत्र में FPO विषय पर राष्ट्रीय महासंगोष्ठी-2023 का उद्घाटन किया और साथ ही PACS द्वारा 1100 नए FPOs के गठन की कार्य योजना का विमोचन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सचिव, सहकारिता मंत्रालय, ज्ञानेश कुमार और सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, मनोज आहूजा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन करने का निर्णय एक अलग दृष्टिकोण से लिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सहकारिता आंदोलन बहुत पुराना है लेकिन आज़ादी के 75 वर्ष के बाद जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो पता चलता है कि देश में सहकारिता आंदोलन कई टुकड़ों में विभक्त हो गया।

उन्होंने कहा कि सहकारिता की दृष्टि से देश को तीन वर्गों में बांट सकते हैं। ऐसे राज्य जहां सहकारिता आंदोलन अपने आप को आगे बढ़ाने और मज़बूत करने में सफल रहा है, ऐसे कुछ राज्य जहां सहकारिता आंदोलन अभी भी चल रहा है और ऐसे कुछ राज्य जहां सहकारिता आंदोलन लगभग मृतप्राय हो गया है।

शाह ने कहा कि देश में लगभग 65 करोड़ लोग कृषि से जुड़े हैं ऐसे में सहकारिता आंदोलन को रिवाइव करना, इसे आधुनिक बनाना, इसमें पारदर्शिता लाना और नई ऊंचाइयां छूने का लक्ष्य तय करना बहुत आवश्यक हो गया है। कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहकारिता ही एकमात्र ऐसा आंदोलन है जिसके माध्यम से हर व्यक्ति को समृद्ध बनाया जा सकता है।

शाह ने कहा कि किसी के पास पूंजी है या नहीं है, लेकिन अगर श्रम करने का हौसला, काम करने की लगन और अपने आप को आगे ले जाने की कुव्वत है तो सहकारिता आंदोलन बिना पूंजी वाले ऐसे लोगों को समृद्ध बनाने का बहुत बड़ा साधन बन सकता है। देश के 65 करोड़ से ज़्यादा कृषि से जुड़े लोगों को संबल देने और कोऑपरेटिव के माध्यम से उनकी छोटी पूंजी को मिलाकर एक बड़ी पूंजी बनाकर उन्हें समृद्ध बनाने की दिशा में सहकारिता आंदोलन महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विगत 2 सालों में सहकारिता मंत्रालय ने कई इनीशिएटिव्स लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में देश में FPO के गठन का निर्णय लिया गया। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कृषि को मज़बूत और किसानों को समृद्ध करने के लिए कई कदम उठाए, जिनमें से एक FPO के लिए भी है। इनके माध्यम से किसानों को बहुत फायदा हुआ है लेकिन सहकारिता क्षेत्र में FPO और इसका फायदा बहुत सीमित मात्रा में पहुंचा था और ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि हमने लक्ष्य रखकर लक्षांक तय नहीं किए।

श्री शाह ने कहा कि उन्होंने कहा कि PACS अगर FPO है तो PACS के सभी किसानों के पास FPO का मुनाफा पहुंचेगा। किसानों को समृद्ध बनाने की सबसे अधिक क्षमता अगर किसी में है तो वो PACS के माध्यम से बने FPO में है, इसीलिए PACS, FPO और SHG के रूप में तीन-सूत्रीय ग्रामीण विकास समृद्धि का मंत्र लेकर कृषि मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय आने वाले दिनों में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। PACS अगर FPO बनना चाहते हैं तो NCDC उन्हें मदद कर सकता है और इसके लिए कोई सीमा नहीं है, इसीलिए आज की ये महासंगोष्ठी सहकारिता आंदोलन को गति देने की संगोष्ठी बनने वाली है।

अमित शाह ने कहा कि कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन-आधारित आर्थिक गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत हैं, लेकिन कभी इनके बारे में देश मे चर्चा नहीं होती। आज ये तीनों सेक्टर मिलकर भारत की जीडीपी का 18 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। एक प्रकार से कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इन्हें मज़बूत करने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है।

उन्होंने कहा कि अगर मैन्युफैक्चरिंग के द्वारा जीडीपी बढ़ती है तो रोज़ग़ार के आंकड़े इतने नहीं बढ़ते, लेकिन अगर कोऑपरेटिव्स के माध्यम से कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन को मज़बूत करते हैं तो जीडीपी के साथ-साथ रोज़ग़ार के अवसर भी बढ़ेंगे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 65 प्रतिशत लोग कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों के साथ जुड़े हैं, लगभग 55 प्रतिशत कार्यबल कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में लगा है। परोक्ष रूप से देखें, तो इन 65 प्रतिशत लोगों और 55 प्रतिशत कार्यबल के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बाकी सभी सेवाएं भी एक प्रकार से कृषि पर ही निर्भर हैं।

शाह ने कहा कि आज देश के 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम भूमि है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने छोटे किसानों को मज़दूर नहीं बनने दिया और वे अपनी भूमि के मालिक हैं। कृषि को आधुनिक बनाने, कृषि उपज के अच्छे दाम पाने और कृषि को फायदेमंद बनाने के लिए हमें परंपरागत तरीकों से बाहर निकलकर आज के समयानुकूल तरीकों को अपनाना होगा और ये PACS FPO इसी क्रम में एक नई शुरूआत है।

अमित शाह ने कहा कि FPO की कल्पना 2003 में 8 अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय योगेन्द्र अलग समिति ने की थी। जब मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने FPO के सुझाव को अमल में लाने का निर्णय लिया। इस इनीशिएटिव का परिमाम है कि आज 11,770 FPO देश में काम कर रहे हैं और इनके माध्यम से देश के लाखों किसान अपनी आय बढ़ाने में सफल हुए हैं। बजट में 10,000 FPO स्थापित करने की घोषणा की गई और वर्ष 2027 तक इनकी स्थापना करने का लक्ष्य है। मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 6.900 करोड़ रूपए इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए आवंटित किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने देश के सभी FPOs का आह्वान किया कि वे जिस स्वरुप में हैं उसी स्‍वरूप में काम करते रहें लेकिन अपने साथ PACS को भी जोड़ते रहें। एक नया हाइब्रिड मॉडल बनाना चाहिए जो PACS और FPO के बीच की व्यवस्था के आधार पर सूचना के आदान-प्रदान, मुनाफा शेयरिंग और मार्केटिंग की पूरी व्यवस्था कर सके।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक 127 करोड़ रूपए से ज्यादा ऋण FPO को दिया है जो 6900 करोड़ रूपए के अतिरिक्तहै। आदिवासी जिलों में भी 922 FPO बने हैं जो वन उपज के लिए FPO का काम करते हैं। इससे मालूम होता है कितनी बारीकियों के साथ नरेन्द्र मोदी सरकार और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर आगे बढ़े हैं। आज गुजरात, महाराष्‍ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने FPO के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के कार्यकाल में बजट आवंटन में लगभग 5.6 गुना वृद्धि हुई। वर्ष 2013-14 में 21000 करोड रूपए का बजट था, जो आज मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2023-24 में 1.15 लाख करोड रुपए का हो गया है। पहले संयुक्त बजट 21000 करोड़ रूपए था, आज 4 विभागों में से सिर्फ कृषि मंत्रालय का बजट 1.15 लाख करोड़ रूपए हो गया है और यह बताता है कि देश के प्रधानमंत्री और उनके नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता कृषि है।

अमित शाह ने कहा कि 2013-14 में देश में 265 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था और 2022-23 में 324 मिलियन हुआ है। धान की एमएसपी में 10 साल में 55% और गेहूं की एमएसपी में 51% की वृद्धि हुई है। मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार आजादी के बाद पहली ऐसी सरकार है जिसने किसानों के लिए लागत से कम से कम 50% अधिक मुनाफा तय किया है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने धान की खरीदमें 88% की वृद्धि की है, यानी, लगभग डबल धान खरीदा है और गेहूं की खरीद में दो तिहाई, यानी, 72% की वृद्धि हुई है। 251 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है और लाभार्थियों की संख्या लगभग 2 गुना हो गई है। साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा दिया, सिंचाई में 72 लाख हेक्‍टेयर का माइक्रो इरिगेशन कर 60 लाख किसानों को कवर किया, सूक्ष्‍म सिंचाई कोष बनाया, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन बनाया, 24 हजार करोड़ का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया, कृषि यंत्रीकरण का कोष बनाया और ई-नाम के माध्यम से लगभग 1260 मंडियों को जोड़ने का काम भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।

अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में मोदी सरकार ने कई काम किए हैं। PACS के मॉडल बायलॉज बनाए जिन्हें 26 राज्यों ने स्वीकार कर लिया है। अब PACS डेयरी भी बन पाएंगे, मछुआरा समिति भी बन पाएंगे, पेट्रोल पंप चला पाएंगे, गैस की एजेंसी भी चला सकेंगे, CSC भी बन पाएंगे, सस्ती दवाई की दुकान भी चला सकेंगे, सस्ते अनाज की दुकान भी चला सकेंगे, भंडारण का भी काम करेंगे, गांव की हर घर जल की समिति में जल व्यवस्थापन में भी कमर्शियल काम कर सकेंगे। शाह ने कहा कि ऐसा कर मोदी सरकार ने 22 अलग-अलग कामों को PACS के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है।

किसान उत्पादक संघों के राष्ट्रीय कन्क्लेव में हिमाचल से हुई 25 की भागीदारी-राकेश वर्मा

14 जुलाई को दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हुये एफ़पीओ औऱ पैक्स सहकारी समितियों के राष्ट्रीय कान्क्लेव में हिमाचल प्रदेश से 25 प्रतिनिधिओं ने भाग लिया । जिनका नेतृत्व एनसीडीसी के क्षेत्रीय निदेशक राकेश वर्मा सहयोगी संस्था के प्रभारी डॉ. यशपाल शर्मा और हर्ष कुमार ने किया ।

क्षेत्रीय निदेशक एनसीडीसी ने मीडिया को बताया कि हिमाचल प्रदेश में गत वर्ष 20 खंडों में एफ़पीओ गठित किये गए हैं जिनके माध्यम से प्राथमिक कृषि समितियों-पैक्स को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार का सहकारिता मंत्रालय सहयोग कर रहा है । इस राष्ट्रीय सम्मेलन में एफ़पीओ और पैक्स समितियों के तालमेल को मजबूत करने के तौर तरीकों पर चर्चा हुई और अलग अलग राज्यों के अनुभव सांझा किये गये ।

वर्ष 2021 में बने सहकारिता मंत्रालय के माध्य्म से केंद्र सरकार एक एफ़पीओ के लिए तीन साल तक 33 लाख रुपये की वित्तिय सहायता उपलब्ध करवाएगी। एफ़पीओ निर्माण और उनके संचालन में मदद करने के लिए अलग से क्लस्टर आधारित व्यवसायिक संगठनों को लगाया गया है जिन्हें अलग से वित्तिय सहायता प्रदान की जा रही है।

राकेश वर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में गठित सभी बीस एफ़पीओ का संचालन शुरू हो गया है और अब इनका विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। ये एफ़पीओ भविष्य में किसानों को बीज, कीटनाशकों, कृषि उपकरण,उत्पाद प्रोसेसिंग व अन्य जरूरी सहायता उपलब्ध करवाने का कार्य करेंगे।

जिसके लिए ज़रूरी लाईसेंस कृषि विभाग से जारी किए जाएंगे। एफ़पीओ मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने जा रहा है। इसके लिए किसान सम्मेलन भी आयोजित किया गया था और इसकी निगरानी और मार्गदर्शन के लिए एनसीडीसी के क्षेत्रीय निदेशक भी यहाँ दौरा कर चुके हैं।

उन्होंने बताया कि बारह माही सब्ज़ियों का उत्पादन और फलदार पौधों के क्लस्टर निर्माण कार्य भी भविष्य में किये जायेंगे। इस योजना के तहत कृषि को टिकाऊ बनाने इससे आजीविका को बढ़ाने और कृषि पर आधारित लोगों का जीवनस्तर सुधारने के लिए सहकारी समितियों को प्रोत्साहन देने का कार्य किया जायेगा।

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