जिला मंडी के चौहर घाटी बरोट में सन 1950 में हुई थी आजादी मेले कि शुरुआत

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सुरभि न्यूज़ 

ख़ुशी राम ठाकुर, बरोट

छोटा भंगाल की मुल्थान पंचायत के उप प्रधान संजीव कुमार उर्फ गुड्डू ने जानकारी देते हुए बताया कि शिव नगर मुल्थान में 15 अगस्त  आज़ादी का मेला गत कई वर्षों से मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1920 से बरोट व मुल्थान में अंग्रजों का शिकार व सैरगाह के लिए  प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने आते रहते थे। एक अंग्रेज कर्नल बी सी बैटी सैरगाह के लिए बरोट आया जो अंग्रेज सरकार में एक इंजिनियर था। उसने यहाँ की  भौगोलिक स्थिति देख कर उसने पन बिजली परियोजना निर्माण कि योजना बनायीं। तब से परियोजना के निर्माण के लिए इस क्षेत्र में अंग्रेजों का अधिकतर आना–जाना शुरू हुआ। अंग्रेज स्थानीय लोगों से गुलामों जैसा व्यवहार करते थे। जिसके चलते दोनों क्षेत्रों के लोग बेहद तंग थे और वे अंग्रेजों से छुटकारा पाना चाहते थे।

वर्ष 1947 में देश के स्वतन्त्र होने से खासकर यहां के लोगों में बेहद प्रसन्नता हुए।आजादी कि ख़ुशी को हमेशा याद रखने के लिए स्थानीय लोग मेले व त्यौहार के रूप में मनाना चाहते थे। लोगो ने मिल कर अपनी यह मांग चौहार घाटी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय लाला विशन दास के समक्ष रखी और वर्ष 1950 में मनाए जाने गणतंत्र दिवस के बाद पूरी हो सकी। चौहार घाटी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय लाला विशन दास, जोगिन्दर नगर के निवासी इंजीनियर चरण सिंह मियां शानन जल विद्युत परियोजना तथा चौधरी करतार चंद के सहयोग से 15 अगस्त 1950 में बरोट से आजादी के मेले के नाम से शुरुआत की गई। उन्होंने बताया कि इस आयोजन को वर्ष 1981 मे झटका लगा जब एक ब्यक्ति ने शानन परियोजना के जलाशय में छलांग लगाकर आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। इस समय शानन परियोजना के द्वितीय चरण का निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया था। सन 1983 में इस मेले का आयोजन चौहार घाटी के बरोट के साथ लगते छोटा भंगाल के मुल्थान में युवक मंडल के सहयोग से शुरू किया गया। तब से अब तक युवक मंडल शिव नगर मुल्थान के प्रयासों से यह चार दिन तक मनाया जाने वाला यह ग्रामीण मेला ब्लॉक स्तर तक मनाया जा रहा है।

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