सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
शिमला, 4 सितंबर
ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करेगा
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में ई-वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन विकसित करने के लिए एक प्रभावी नीति लाएगी। रविवार शाम शिमला में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि नीति पहुंच, सुविधा और रोजगार के रास्ते खोलने सहित विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने कहा कि ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए निजी ऑपरेटरों को भी 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री को राज्य में पहले से स्थापित और वर्तमान में स्थापित किये जा रहे चार्जिंग स्टेशनों के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मॉडल राज्य के रूप में विकसित किया जा रहा है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के सहयोग से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इसके अलावा, पहले चरण में छह हरित गलियारे विकसित किए जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों सहित इन गलियारों की लंबाई 2137 किलोमीटर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सड़क परिवहन निगम भी चरणबद्ध तरीके से अपने बेड़े में और अधिक इलेक्ट्रिक बसें शामिल कर रहा है और उन्होंने एचआरटीसी को नई इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए मार्गों की पहचान करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक परिवहन में बदलने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।
निर्माण गतिविधियों और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भूमि के उपयोग पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूमि निर्माण कार्यों के लिए वैज्ञानिक रूप से उपयुक्त हो। मौके पर भूमि का वैज्ञानिक अध्ययन कराने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में व्यावहारिक पहलुओं का अध्ययन नितांत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की भौतिक स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन अमोनिया और बायो गैस संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाशने के भी निर्देश दिए। उन्होंने पायलट आधार पर संयंत्र स्थापित करने के लिए 31 अक्टूबर, 2023 तक एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा । उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि 1,000 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएं वर्ष 2023-24 में पूरी हो जाएंगी।
बैठक में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव भरत खेड़ा और आरडी नजीम, मनीष ग्रैग, सचिव और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
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