सुरभि न्यूज़ ब्युरो
बिलासपुर, 10 फरवरी
राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का काम बहाल करने के लिए बनी सँयुक्त ट्रेड यूनियन सँघर्ष समिति हिमाचल प्रदेश की बैठक सर्कट हाऊस बिलासपुर में राज्य सयोंजक भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें सीटू के राष्ट्रीय सचिव कश्मीर सिंह, राज्य महासचिव प्रेम गौतम, लखनपाल शर्मा, विजय शर्मा, इंटक के रूप सिंह ठाकुर, जगतार सिंह बेन्स, चैन सिंह सुमन, रमेश कुमार, टीयूसीसी के रविन्द्र कुमार रवि, सरोजलता ठाकुर, एटक के लेखराम वर्मा, परवेश चन्देल, एसकेएस के अजीत राठौर और शोभा राम ने भाग लिया।
राज्य सयोंजक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बैठक में सुखू सरकार द्धारा राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से मज़दूरों को मिलने वाले लाभ बन्द कर दिए हैं। उनका पंजीकरण और नवीनीकरण रोक कर मज़दूर विरोधी फ़ैसला 12 दिसंबर 2022 को लिया है। जिसके ख़िलाफ़ पांच मज़दूर सन्गठन एकजुट होकर पिछले दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। अधिसूचना की प्रतियां जलाने के प्रति सभी जिलों ने डीसी के माध्यम से माँगपत्र देने के बाद ज़िला स्तर पर प्रदर्शन किये जा चुके हैं। लेकन सरकार व बोर्ड मज़दूरों की सहायता व पंजीकरण बहाल नहीं कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखू दस दिन पहले बोर्ड के चेयरमैन पद पर स्वय असनसीन हो गए हैं जो बोर्ड श्रम विभाग के मंत्री के अधीन होता है। उसका चेयरमैन मुख्यमंत्री का स्वयं बनना बहुत ही निंदनीय है और हंसी का विषय बना हुआ है।
उनके चेयरमैन बनने के बाद रातों रात पूरे प्रदेश में बोर्ड के पैसे से अपने फ़ोटो वाले बड़े बड़े होर्डिंग लगाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है जबकि पिछले एक साल ये सब नहीं हुआ था। इस पर बोर्ड के दो करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं जबकि मज़दूरों के बच्चों की छात्रवृति, विवाह शादी, मैडिकल, प्रसूति, मृत्यु व पेंशन इत्यादि के लिए मिलने वाले सभी प्रकार के लाभ बन्द कर दिए हैं और मज़दूरों का पंजीकरण भी रोक दिया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं बोर्ड का चेयरमैन बनकर कोई चाल चली है, जबकि आजकल उनके खिलाफ पूरे प्रदेश में नारे लग रहे हैं। जिसका नुक़सान उनकी सरकार को दो महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में झेलना पड़ेगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी से जुड़ा मज़दूर संगठन इंटक भी उनके खिलाफ सड़कों पर उतर गया है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सँयुक्त सँघर्ष समिति ने अब सरकार के ख़िलाफ़ सँघर्ष तेज़ करने का निर्णय लिया है जिसके चलते 16 फ़रवरी को होने जा रही अखिल भारतीय हड़ताल में मनरेगा और निर्माण मज़दूर भी भाग लेंगे। मज़दूर यूनियनों के सभी सदस्य जो बोर्ड के सदस्य हैं वे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बने नए बोर्ड की तुंरत बैठक बुलाने के लिए पत्र लिखेंगे।
यदि 28 फ़रवरी तक बोर्ड का काम बहाल नहीं किया तो एक मार्च से पँचायत स्तर पर सरकार के ख़िलाफ़ रैलियां आयोजित करने का अभियान चलाया जाएगा और सरकार की शव यात्राएं भी निकाली जाएगी। उसके बाद 23 मार्च से सभी ज़िला मुख्यालयों व खण्ड मुख्यालयों पर निरंतर धरने देने का अभियान चलाया जाएगा जिनमें बोर्ड से पंजीकृत मज़दूर भाग लेंगे।
बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि यदि चुनाव आचार संहिता लागू होने तक भी बोर्ड के लाभ मज़दूरों को जारी नहीं किये गए तो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के नेताओं का गांवों में आने पर घेराव किया जाएगा। बैठक में कोर्ट अवकाश समाप्त होने पर इस गैर कानूनी रोक की बहाली के लिए हाईकोर्ट में भी उठाया जायेगा।