भारतीय डाक विभाग का साहित्य में योगदान

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सुरभि न्यूज़ ब्युरो, कुल्लू

प्रताप सिंह अरनोट

डाक विभाग समूचे विश्व में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है, जिसका संपर्क सीधा विश्व के  हर घर से जुड़ा हुआ है। डाक विभाग के कर्मचारी अन्य विभागों की तुलना में अधिक ईमानदार, सजग व संवेदनशील होते हैं। विश्व में कई ऐसी महान् विभूतियां हुई हैं, जिन्होंने डाक विभाग में सेवा करके विभाग के प्रति अपना दायित्व निभाते हुए साहित्य, कला, सांस्कृतिक एवं अन्य क्षेत्रों में भी अपना नाम रोशन करने के डाक विभाग का नाम उच्चाइयों तक पहुंचाया है। डाक विभाग के कई महान लेखकों, शायरों, साहित्यकारों, कवियों, विज्ञानिकों तथा समाज सेवकों ने कई महान पुरस्सकारों को प्राम किया है। भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के दौरान महान् ज रचनाकार दीनबंधु मित्र डाकघर में पोस्टमास्टर के पद कार्यरत थे। जब वह डाकघर निरिक्षण के लिए नदिया, मुर्शिदाबाद और जसोर आदि जगहों में गए तो अंग्रेजों द्वारा किसानों पर हो रहे भयानक शोषण को देखकर उनका मन बड़ा दुखी हुआ और उन्होंने इसी पृष्ठभूमि पर महान् कृति नील दर्पण नाटक लिखा, जो उस जमाने की महशूर पत्रिका हिंदू में प्रकाशित हुआ। सन् 1872 में इसी नाटक के मंथन के साथ कलकता के नेशनल थिएटर की शुरूआत हुई। अंग्रेज इस नाटक को देखकर भड़क उठे और उन्होने इस नाटक को जब्त कर लिया। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन गरीब की झोपड़ी में जन्में महान् शख्स ने अपने जीवन का सफर पोस्टमैन से शुरू किया, जो आगे चलकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने। भारत के महान् पुरस्कारों से सम्मानित डाकघर में कार्यरत महान विभूतियों में भारतीय ज्ञानपीठ व सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा अन्य कई सम्मानों से सम्मानित तमिल के विख्यात लोकप्रिय उपन्यासकार पीवी अखिलंदम मद्रास सर्किल में रेलवे डाक सेवा में छंटाई में कार्यरत थे। बाद में वह आकाशवाणी में चले गये। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानीत पद्मश्री राजेंद्र सिंह बेदी लाहौर में डाक विभाग में लिपिक के पद पर कार्यरत थे। उनके पिता भी डाक विभाग में पोस्टमास्टर थें। फिल्म निर्माता व जानोमाने लेखक पद्मश्री राजेंद्र सिंह बेदी ने विभाग की सेवा के दौरान के कई कहानीयों की रूपरेखा तैयार की और उसके बाद नौकरी छोड़कर आल इंडिया रेडियो में कार्यरत हुए। उन्होंने बड़ी बहन, देवदास, मधुमति, मिर्जा गालिब जैसी फिल्मों की पटकथा लिखि तथा दस्तक और फ़ागुन फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी महान् कृक्ति एक चादर मैली सी तो समूचे भारत में महशूर हुई। विख्यात चर्चित उपन्यासराजनगर जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। चर्चित राजनगर उपन्यास के लेखक अभियभूषण मजुमदार 1919 में पोस्ट आफिस में लिपिक के पद पर कार्यरत रहे और बंगाल सर्किल से डिप्टी पोस्मास्टर के पद से सेवानिवृत हुए। सन् 1925 में जन्में विख्यात डोगरी के लेखक शिवनाथ प्रतिष्ठत डाक अधिकारी रहे हैं। वह डाक-तार बोर्ड के सदस्य और चौथे वेतन आयोग के सलाहकार भी रहे हैं। उनके लेखन के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं बिरला फाउंडेशन अवार्ड से सम्मानित शम्सूर रहमान फारूकी डाक विभाग के अधिकारी रह चुके हैं। उर्दू के विख्यात समीक्षक हैं तथा उनकी कई कृतियां बहुत चर्चित रही हैं। पीएमजी बिजय कृष्ण मोहंती भुवनेश्वर कार्यालय में कार्यरत रहे तथा अपने सेवा काल में 300 से अधिक कहानियां तथा कई उपन्यास लिखे जो बहुत चर्चित रहे। उनकी पत्नी ब्रहमोत्री मोहंती भी जानीमानी कवयित्री है जो साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। डाक विभाग के महानिदेशक और अध्यक्ष, डाक सेवा बोर्ड के अहम पदों पर आसिन एसपी गुलाटी लेखन और सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे उन्होने एपीएस मेल मिलाप पत्रिका का प्रकाशन भी किया। बंगाल के चर्चित रचनाकार विमल चंद्र घोष भी डाक विभाग में कार्यरत थे बाद में त्यागपत्र देकर वसुमति पत्रिका का संपादन किया। डाक विभाग में कई शायरों एवं कवियों ने भी अपना नाम दर्ज किया है जिनमें मराठी साहित्य के जानेमाने हस्ताक्षर सुधाकर गैधानी नागपुर सिटी डिवीजन में एलएसजी अधिकारी कई सम्मानों से सम्मानित किए जा चुके हैं। उनकी पुस्तक देवदूत काने चर्चित रही। कवि सम्मेलनों में उनकी कविताओं को बहुत तजबो दी जाती थी। मद्रास माउंट रोड़ डाकघर के सहायक पोस्टमास्टर लेखक, कलाकार और कार्टूनिस्ट थे। उनकी काव्य रचनाएं बेहद लोकप्रिय रही। लखनऊ आरएलओ में सहायक प्रबंधक कृष्ण बिहारी नूर जानेमाने शायर रहें हैं उन्होंने अपनी रचनाओं से लाखों लोगों के दिलों में छाप छोड़ी है। शायर परवेज शहरयार को कौन नहीं जानता वह भी डाक विभाग से जुड़े हुए थे। सीकर राजस्थान के पोस्टमास्टर राजबहादुर सक्सेना रहबर जानेमाने कवि एवं शायर थे। गौरी शंकर वैश्य विनम्र डाक विभाग में कार्यरत रहे विथा उन्होंने अनेक काव्य रचनाएं प्रकाशित हुई। ईशर सिंह ईशर उर्फ भईया डाक विभाग में कार्यरत रहने के साथ-साथ हास्य व्यंग के अनूठे प्रहोगकर्ता रहे। उनको काव्य रचनाएं हकीकत बयान करती हैं। खेल जगत में भी डाक विभाग पिछे नहीं रहा। भारतीय डाक विभाग के उच्च पदाधिकारी नीपेश तालुकेदार आगरा निवासी क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने डाक प्रबंधन में कई महत्वपूर्ण पुस्तके लिखी। एथलेटिक्स और शूटिंग की जानीमानी खिलाडी रचना गोविल भी डाक विभाग से जुड़ी हुई हैं। उन्हें अर्जुन पुरसकार से सम्मानित किया जा चुका है। विज्ञान, पर्यावरण तथा पशु-पक्षी संरक्षण में भी डाक विभाग ने नाम कमाया है। गुजरात सर्किल के कल्याण निरीक्षक संदीप बी. ब्रह्मभटट् ने विकलांग पक्षियों, जानवरों और सापों के लिए एक केंद्र चला रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण व घरेलू प्रजातियों के पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए उनका योगदान सराहनीय है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डा. सी.वी. रमन जानेमाने विज्ञानिक है। वह कलकता डाक-तार विभाग में सहायक लेखा प्रधान के रूप में कार्यरत रहे। देहरादून में 5 जुलाई 1920 को जन्मे सूरजमल अग्रवाल को सन् 1975 में देवनागरी टाइपराइटर तथा टेलीप्रिंटर के कीबोर्ड के डिजाइन में सराहनीय कार्य करने के लिए पद्मश्री अवार्ड सम्मानित किया गया। पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी डाक विभाग में कार्यरत हो कर साहित्य के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाई है। मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी सन् 1949 से डाक विभाग से जुड़ी हुई थी। उसको विभाग से इसलिए निकाल दिया कि उसकी मेज की दराज से महान लेखक लेनिन तथा मार्क्स का साहित्य निकला था। बाद में उसे ज्ञानपीठ पुरस्कार का सम्मान भी प्राप्त हुआ। महशूर रचनाकार कविता सिन्हा डाक विभाग में कार्यरत थी बाद में आकाशवाणो में चली गई। तीन दशक तक डाक पत्रिका संपादन करने वाली शशी चावला चर्चित लेखिका व कवयित्री हैं। कुछ साल पहले शशी चावला सेवा निवृत हुई है। उड़िया की स्थापित लेखिका सुजाता चौधरी 1985 बैच की अधिकारी हैं तथा उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सन् 2003 में डाक सचिव तथा महानिदेश के पद पर आसिन पद्मा बाला सुब्रमणियम डाक विभाग के डेढ़ सौ साल के इतिहास में पहली महिला अधिकारी का श्रेय जाता है। पंजाब सर्किल के सीपीएमजी कर्नल तिलकराज विभिन्न अनछुए विषयों में कलम चलाते रहे और काफी प्रतिष्ठित हुए। पजांब के डा. अनवर अहमद अंसारी लाल बाजार डाकघर में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत हैं। वह उर्दू साहित्य के स्थापित साहित्यकार एवं शोधकर्ता हैं। हिमाचल प्रदेश से भी बहुत लेखक एवं साहित्यकार हैं जो डाक विभाग से जुड़े हुए हैं। लेखक स्वयं डाक विभाग से सेवानिवृत्त है।

 

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