किसान सभा 26 फरवरी को मंडी जिला के मंडी, जोगिंदर नगर, सरकाघाट तथा बालीचौकी में करेगी धरना-प्रर्दशन – कुशाल भारद्वाज

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सुरभि न्यूज़ भूरो 

मंडी, 25 फरवरी 

किसानों पर हो रहे दमन तथा मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में संयुक्त किसान मंच के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा सोमवार 26 फरवरी को मंडी जिला के मंडी, जोगिंदर नगर, सरकाघाट, बालीचौकी आदि क्षेत्रों में धरने-प्रर्दशन आयोजित करेगी। हिमाचल किसान सभा के जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज की अध्यक्षता में आज मंडी में आयोजित पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में रामजी दास, जोगिंदर वालिया, परस राम, प्रेम चौधरी, नंद लाल वर्मा सहित जिला पदाधिकारी शामिल हुए।

इस अवसर पर जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज व सचिव रामजी दास ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार किसान ने किसानों पर घोर दमनात्मक कार्यवाही की है। मोदी सरकार कॉरपोरेटस के हित साधने के लिए लगातार किसानों का गला घोंटा रही है। सरकार ने किसानों से किए एक भी वायदे को पूरा नहीं किया। मोदी सरकार ने न तो एमएसपी का कानून बनाया, न बिजली विधेयक वापस लिया, न मुकद्दमे वापस लिए और न ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया। हाल ही में किसानों पर बर्बर गोलियां दागने, अश्रुगैस के गोले दागने, रबड़ बुलेट दागने से यह सिद्ध हो गया कि बीजेपी सरकार कॉरपोरेट की नौकर बनकर रह गई है तथा अंग्रेजों की तरह ही किसानों, मजदूरों का दमन करती है।

उन्होंने कहा कि देश भर के किसान भारत को विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकलने की मांग कर रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन की 13 वीं मंत्री स्तरीय कांफ्रेंस 26 से 29 फरवरी तक आबू धाबी में होने जा रही है। डब्ल्यूटीओ पर विकसित साम्राज्यवादी देशों का वर्चस्व है और भारत जैसे विकासशील देशों पर वे अपनी एकतरफा शर्तें थोपते हैं। सब्सिडी घटाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य हटाने का दबाव भी उन देशों का है ताकि उनके कम खर्च पर पैदा हुए कृषि उत्पादन भारत की मार्केट में छा जाएं और भारतीय किसानों के उत्पादन पिट जाएं। 26फरवरी के प्रदर्शन के माध्यम से किसानों के लिए एमएसपी का कानून बनाने, बिजली विधायक को निरस्त करने, किसानों का दमन रोकने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग के साथ ही साम्राज्यवादी वर्चस्व वाले विश्व व्यापार संगठन से भारत के बाहर निकलने की मांग भी प्रमुख है। 26 फरवरी के इस प्रदर्शन में मजदूरों, छात्रों, युवाओं व महिलाओं के संगठन भी शामिल होंगे।

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