सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू, 24 मई
स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन द्वारा कुल्लू के सरकारी स्कूलों में आयोजित की जा रही निःशुल्क नाट्य कार्यशालाओं में राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भुन्तर में तीसरी कार्यशाला का समापन प्रतिभागी बच्चों ने कार्यशाला में तैयार किए गए मुंशी प्रेम चन्द की कहानी पर आधारित नाटक ‘ठाकुर का कुआँ’ के भावपूर्ण मंचन के साथ किया।
इस नाटक को सभी उक्त स्कूल के बच्चों तथा अध्यापकों ने सुबह की सभा में देखा और खूब सराहा। विद्यालय की प्रार्चाय डाॅ दीप्ति पाॅल ने ऐक्टिव मोनाल के इस प्रयास को सराहा तथा प्रतिभागी बच्चों को सफल प्रस्तुति के लिए बधाई दी। 21 दिन तक आयोजित इस कार्यशाला को संचालन संस्था के रंगकर्मी रेवत राम विक्की ने किया और लगभग 60 बच्चों को अभिनय तथा नाट्या विधा के गुर सिखाए।
प्रस्तुत नाटक ‘ठाकुर का कुआँ’ इसी नाम से बहुत प्रसिद्ध कहानी पर आधारित था। नाटक में समाज में प्रचलित जात पात और छुआ छूत जैसी कुरीतियों को बहुत ही प्रभवशाली तरीके से उकेरा गया था। नाटक में जोखू जो अनुसूचित जाति का है, बीमार है और पानी पीना चाहता है तो लाटे में जो पानी है उसमें बहुत गन्दी बदबू आती है। तो पता चलता है कि कुएँ में कोई जानवर गिर कर मर गया है।
दूसरा कुआँ ठाकुर का है जिसमें केवल सवर्ण जात के लोग ही पानी भर सकते हैं। पर जोखू की बीवी गंगी ठाकुर के कुएँ से पानी चुराने की कोशिश करती है। जबकि जोखू उसे मना करता है, कहता है कि बहुत ज़्यादा खतरा है ठाकुर के आदमियों ने पकड़ लिया तो पुश्तों तक जीने नहीं देंगे हमें। परन्तु वह अपने बीमार पति को वह गंदा पानी पिला नहीं सकती। वह रात के समय वह कुएँ के पास जाती है और घात लगाकर पानी भर कर बर्तन ऊपर खींचती है उसी वक्त ठाकुर की आवाज़ आती है ‘कौन है’ ‘कौन है’।
गंगी से बर्तन वहीं छूट जाता है और वह बेसुध भागती है। घर आकर देखती है तो जोखू वही गंदा पानी लोटा अपन मुहूँ में लगा कर पी रहा होता हैं। गंगी देखती ही रह जाती है और सोचती है कि यह वर्ग भेद और जाति पाति की खाई हमारे समाज में कभी पाटी भी जा सकेगी ?
नाटक में वंशिका, तनवी, भुवनेश्वरी, शीतल, कनिष्का, सुनीता, मीनाक्षी, ममता, पायल, साक्षी, रिधिमा, नव्या, स्नेहा, शबराना, दिनेश, गौरव, हिमाश्ंाु, आयुश, वंषुल, प्रताप, रितिक, नितिन, माहित, तरूण, टेक चन्द, हितेश आदि बच्चों ने अपनी अपनी भूमिकाएं गहुत अच्छी तरह से निभाई।