जिला कुल्लू में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की विश्वसनीयता व अस्मिता पर हो रहे हमले से आम जनमानस में लगातार गिरती जा रही साख

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सुरभि न्यूज़ डेस्क
कुल्लू, 05 जुलाई
कुल्लू जिला में पिछले काफी अरसे से मीडिया की विश्वसनीयता व अस्मिता पर जो हमले होते आ रहे हैं, उसकी वजह से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की साख आम जनमानस में लगातार गिरती जा रही है। लेकिन कुछ विवादग्रस्त मीडिया कर्मी इसे समझने को कतई तैयार नहीं हैं।
जिस तरह सबसे पहले मीडिया पर बंजार के भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने संवैधानिक पद पर होते हुए भी बेहद शर्मनाक टिप्पणी की, वह मीडिया के लिए बेहद की घटिया थी। उसके बाद एक सामाजिक संस्था से जुड़े पदाधिकारी ने अपने को प्रमुख कहलाए जाने वाले मीडिया कर्मी को अपने निशाने पर लिया। लेकिन जिन मीडिया कर्मियों पर विधायक सुरेंद्र शौरी व सामाजिक संस्था के पदाधिकारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से हमला किया, वह मीडिया कर्मी अपने साथ मीडिया की विश्वसनीयता का बचाव करने में भी पूरी तरह से असफल साबित हुए। हालांकि अनौपचारिक दिखावे के लिए मीडिया की विश्वसनीयता के साथ-साथ आम जनता में अपनी छवि सुधारने का प्रयास जरूर हुआ। लेकिन जिस तरह के आक्षेप लगाए गए, उनके लिए इस तरह के अनौपचारिक प्रयासों से मीडिया के साथ ही उनकी अपनी साख का और ज्यादा बंटाधार हुआ।
अभी यह मामले ठंडे पड़े नहीं थे कि इस बीच एक और विवाद मीडिया कर्मियों के बीच में ही खड़ा हो गया। जिसमें अनपढ़, रिफ्यूजी से लेकर रिवाल्वर तक की चर्चा सामने आई। इस विवाद ने खास तौर पर जिला मुख्यालय पर कार्यरत मीडिया कर्मियों की साख का पूरी तरह से बंटाधार कर दिया। अभद्र शब्दों के इस्तेमाल के साथ मीडिया कर्मियों की आपसी कलह रिवाल्वर तक पहुंच गई। वही क्लेश पुलिस तक पहुंच गया। भले ही पुलिस मीडिया कर्मियों के इन मामलों में काफी संयम बरतती आ रही है।
लेकिन जिस तरह से मीडिया कर्मियों के विवाद में पुलिस का घालमेल हुआ है, वह मीडिया कर्मियों की ही नहीं बल्कि मीडिया की विश्वसनीयता व अस्मिता पर भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है। मीडिया कर्मी इस सारे विवाद को खत्म करने के बजाय लगातार तूल देते जा रहे हैं। जो लोग मीडिया की विश्वसनीयता व उसकी ताकत की दुहाई दिया करते थे, आज मीडिया कर्मी उन्हीं लोगों के बीच पूरी तरह से नंगे होते जा रहे हैं और एक दूसरे को नंगा करने में तुले हुए हैं। पुलिस जिस तरह से इस मामले में उलझ गई है और मीडिया कर्मियों की साख को बनाए रखने का प्रयास कर रही है, वह काफी हद तक काबिले तारीफ भी है।
लेकिन दुखद स्थिति यह है कि जो पुलिस कभी मीडिया से खौफ भी खाती थी, उसी पुलिस के पास मीडिया कर्मी एक दूसरे को नंगा करने, नीचा दिखाने और एक दूसरे पर करवाई करने का दबाव बना रहे हैं। उसकी वजह से खास तौर पर कुल्लू जिला मुख्यालय का मीडिया पूरी तरह से पुलिस के सामने नीरह वह असहाय बनकर अपना तमाशा पेश कर रहा है।
हालांकि अधिकतर सक्रिय मीडिया कर्मी इन विवादों से दूर तटस्थ हैं। लेकिन विश्वसनीयता उनकी भी दांव पर लगी है। कुछ मीडिया कर्मियों के कारनामों के छींटे उन पर भी पड़ रहे हैं। जिसकी वजह से आज कुल्लू का मीडिया लोगों के बीच हास्य का पात्र बनता जा रहा है। लोग लगातार सवाल पर सवाल पूछ रहे हैं। पुलिस लगातार मीडिया कर्मियों को तलब कर विवाद खत्म करने के लिए कहती आ रही है। लेकिन कुछ मीडिया कर्मी अपनी लगातार बना रही हास्य पदस्थिति को देखते हुए भी विवादों को तुल दिए जा रहे हैं। जिसकी वजह से मीडिया कर्मियों में ही तनातनी बनी हुई है।
भले ही यह विवाद कुछ समय बाद खत्म भी हो जाएंगे। लेकिन जो स्थितियां आम जनमानस में कुछ मीडिया कर्मियों ने पैदा कर दी है, उनका निराकरण संभवत अरसे तक नहीं हो पाएगा। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाने वाले मीडिया कर्मियों को जनमानस के साथ-साथ अधिकारियों में अपनी विश्वसनीयता कायम करने के लिए लंबा समय लग सकता है। क्योंकि जिस तरह की स्थितियां कुछ ठसकी मीडिया कर्मियों ने कुल्लू में खड़ी कर दी हैं, उसका खामियाजा तो सभी मीडिया कर्मियों को भुगतना ही पड़ेगा। शायद हिमाचल प्रदेश के इतिहास में मीडिया कर्मियों को लेकर इस तरह का माहौल कभी पैदा नहीं हुआ है। जिसके चलते आज मीडिया की विश्वसनियता व अस्मिता दांव पर है।

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